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जून, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उम्र का क्या दोष

क्यों हवाला देते हो उम्र का उम्र का क्या दोष आखिर इसे भी तो बचपन पसंद है यह मजबूरी इसकी भी तो है यह खुद को बढ़ने से रोक नहीं सकती हर वक़्त हर पल यह बढ़ रही है इसमें क्या गलती है इसकी हाँ तुम चाहो तो खुद को अपनी उम्र से अलग कर लो फिर तुम्हे बूढे होने का डर नहीं होगा लेकिन रुको जरा यह भी तो सोचो इसी उम्र ने ही तो तुम्हे सुख दिया है बचपन का फिर कैसे अलग करोगे रहने दो इस उम्र को अपने साथ शायद फिर बचपन लौट आये....... आशीष तिवारी

ज्ञानमती का हौसला

यूँ तो ज़िन्दगी हर कदम एक नई ज़ंग होती है... लेकिन इस ज़ंग को जीत पाने का हौसला कम ही लोगों में होता है..वोह भी तब जब ज़िन्दगी कि ज़ंग को लड़ने वाला कोई महिला हो.... उससे उसके ही समाज ने बहिष्कृत कर दिया हो और वोह एच आई वी पोजिटिव भी हो... हाँ ठीक पढ़ा आपने वोह एच आई वी पोजिटिव भी हो....यह दांस्ता है बनारस के ज्ञानमती की.... ज्ञानमति युवा हैं...उच्च शिक्षा प्राप्त है...ज्ञानमती ने एमएस सी किया उसके बाद एम बी ए भी कर चुकी हैं....देखने में ज्ञानमती कहीं से भी किसी आम लड़की से अलग नही लगती हैं...लेकिन हमारा सभ्य समाज इन्हे अलग मानता है... जानते हैं क्यों क्योंकि ज्ञानमती को एड्स है .... ज्ञानमती को एड्स कैसे हुआ यह एक दर्दभरी कहानी है..दरअसल ज्ञानमती को सिजोफेर्निया कि बीमारी हो गई थी.... ..इसी बीमारी में ज्ञानमती के साथ हुयी एक दुर्घटना ने ज्ञानमती को एच आई वी पोजिटिव बना दिया...(पत्रकारिता के धर्मं को मानते हुए में ज्ञानमती के साथ हुए अपने समस्त वार्तालाप को यहाँ नही लिख सकता हूँ) जब बिमारी के इलाज के दौरान ज्ञानमती को यह पता चला कि वोह एच आई वी पोजिटिव हो गई हैं तो उनके ऊपर मानो पहाड़ ट

इंसानियत की इबादतगाह

आज आपको एक ऐसी इबादतगाह के बारे मैं बताता हूँ जहाँ दरअसल इंसानियत की पूजा होती है....यह इबादतगाह है हमेशा से अपनी गंगा जमुनी तहजीब के लिए जाने जाये वाले शहर बनारस में है....बनारस के चौक इलाके की एक तंग गली...इसी गली में है यह इबादतगाह....मैं बात कर रहा हूँ अनार वाली मस्जिद का.....इसको अनार वाली वाली मस्जिद कहने के पीछे कारण है इस मस्जिद में लगा अनार का पेड़....इसी पेड़ के चलते इस मस्जिद का नाम अनार वाली मस्जिद पड़ गया......यह एक छोटी सी मस्जिद है.....एक तरफ नमाज़ अदा करने के लिए एक छूता सा कमरा बना है तो वहीँ दूसरी ओर चार दरवेश को जगह मिली हुई है.......एक छोटा सा ही आँगन जहाँ किनारे में लगा अनार का पेड़ पूरी मस्जिद को अपने साये तले लिए हुए है.....इस मस्जिद के साथ जुडी हुई एक ख़ास बात यह है की इस पूरी मस्जिद की देखभाल एक हिन्दू के हाथ में है....लम्बी दाढी और लम्बे लम्बे बाल वाले बेचन बाबा....यही नाम है उस शख्स का जो इस मस्जिद की देखरेख करता है....बेचन बाबा यहाँ झाडू लगाने से लेकर नमाज़ अदा करने तक की हर जिम्मेदारी को उठातें हैं.......बेचन बाबा इस काम को पिछली चार पीढियों से कर रहें