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जो गांव के प्रधान लायक नहीं वो विधायक बन गए...

क्या आपको पता है कि इस देश में एक धरना राज्य भी है। अगर जानकारी नहीं है तो खुद को अपडेट कर लीजिए। इस राज्य का नाम है उत्तराखंड। 8 नवंबर सन 2000 को जमीन का ये टुकड़ा उत्तर प्रदेश से अलग होकर एक राज्य बना। पहले इसका नाम उत्तरांचल रखा गया और फिर बाद में बदल कर उत्तराखंड कर दिया गया। राज्य के फिलहाल के हालात देखने के बाद जब आपको ये बताया जाएगा कि इस राज्य को बनाने के लिए इस इलाके के लोगों ने एक मजबूत राजनीतिक तंत्र से लड़ाई लड़ी तो आपको हैरानी होगी है। उत्तरांचल कहिए, उत्तराखंड कहिए, पहाड़ों वाला प्रदेश कहिए या फिर धरने का प्रदेश कहिए, शिकायतों का प्रदेश कहिए। इस राज्य को लेकर जो सोच निर्माण के दौरान थी वो अब समाप्त हो चुकी है। उम्मीदों की जो गठरी पहाड़ी ढलानों से उतरकर लखनऊ की सड़कों तक पहुंची थी वो मानों कहीं गुम हो चुकी है। हो सकता है कि राज्य पूरे देश में एक आदर्श लोकतांत्रिक व्यवस्था की नजीर के तौर पर उभर पाता लेकिन राज्य के मुस्तकबिल में कुछ और था। निर्माण के चौदह सालों में राज्य ने शिकायतों का ऐसा कारखाना लगाया कि हर गली से गिले शिकवे सुनाई देने लगे। राज्य में कौन ऐसा है (सिवाए