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मई, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रहें होंगे पत्रकार कभी नारद लेकिन अब शकुनि हो गए हैं

जरूरी नहीं है कि जिसकी उम्र और अनुभव अधिक हो जाए वो अपने बाल्यकाल की तुलना में अधिक पूजनीय हो जाए। भारतीय पत्रकारिता के साथ भी कमोबेश यही स्थिती है। 30 मई 1826 में कोलकाता के कालू टोला मोहल्ले में पंडित जुगल किशोर ने जब उदन्त मार्तण्ड शुरु किया तो उन्हें नहीं पता रहा होगा कि 188 साल बाद उनका अखबार मीडिया की शक्ल ले लेगा। सामाजिक विमर्श से आगे बढ़कर कॉपरेट कल्चर में बदल जाएगा। खबरें पेड होंगी। सत्ता के समीप और जनता से दूरी बढ़ती जाएगी। प्रेस कॉउंसिल ऑफ इंडिया भले कहे कि अखबारों में विज्ञापन का अनुपात खबरों से कम होना चाहिए लेकिन कौन कहा माने। टीवी चैनल वाले तो उदंत मार्तण्ड की जयंती को पुण्यतिथि में ही बदल देंगे। दरबार और दरबारी काल की मूल प्रेरणा से लबालब चैनल वाले सिर्फ वही गाएंगे और बजाएंगे तो उनके आका को पंसद होगा। लाइजनिंग के लिए बकायदा पूरी एक टीम रखी जाएगी और कॉरपोरेट लॉबी और सरकारी गलियारों के बीच संबंधों की कड़ी बनाई जाएगी। इसके बदले मोटी रकम वसूली जाएगी। राजनीतिक पार्टियों की सैंद्धांतिक विचार विमर्श के आधार पर आलोचना की पंरपरा को त्याग कर पैकेज के आधा

भारतीय मीडिया के लिए ही नहीं, ये संकट लोकतंत्र की विश्वसनीयता का भी है

ये रिपोर्ट हैरान करने वाला कतई नहीं है। सांप बिच्छू दिखाते दिखाते भारतीय मीडिया नेताओं के भाषणों को लाइव दिखाने तक तो पहुंची। ये विकास नहीं है तो क्या है? अब भला कौन कहेगा कि ये देश संपेरों का देश है? कम से भारतीय मीडिया के सहारे इस देश के बारे में अपनी राय बनाने वाले तो नहीं ही कहेंगे। अब ये नेताओं का देश है। दरअसल रिपोर्ट्स विद्आउट बार्डर्स संघठन के जरिए तैयार वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स की रिपोर्ट आने के बाद ये पता चला कि साल 2017 में भारतीय मीडिया अन्य देशों के साथ रैंकिंग में 136वें स्थान पर है। कुल 180 देशों की रैंकिंग की गई इसमें भारत 2016 की तुलना में 3 स्थान लुढ़क कर 136वें स्थान पर आ चुका है। हालांकि ये सर्वे मुख्य रूप से प्रेस की स्वतंत्रता को लक्ष्य करके किया जाता है लेकिन इस सर्वे का एक पहलु ये भी है कि ये रैंकिंग मीडिया के स्वतंत्र आकलन और व्यवहार को भी प्रदर्शित करती है। रैंकिन गिरने का अर्थ है कि भारतीय मीडिया का व्यवहार स्वतंत्र नहीं रह गया है या फिर यूं कहें कि भारतीय मीडिया पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर समाचार लिख और दिखा रही है। भारतीय मीडिया के ल