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बहुत दिनों से घोंट रहे थे अब थूक रहे हैं

देश में आजकल अन्ना की चर्चा है। हर ओर अन्ना ही अन्ना नजर आ रहे हैं। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ ने पूरे देश को अन्नामय कर दिया है। अन्ना के समर्थन में देश का एक बड़ा वर्ग सड़कों पर उतर आया है। कोई अनशन कर रहा है तो कोई गा-बजा कर अन्ना का साथ दे रहा है। कई लोग ऐसे भी हैं जो सड़कों पर प्रदर्शन तो नहीं कर रहे हैं लेकिन मुंह से अन्ना के साथ होने की बात कह रहे हैं। इन सब के बीच एक बात सामान्य है। सभी सालों से जिस थूक को घोंट रहे थे उसे जी भर के वहां थूक रहे हैं जहां थूकना चाह रहे हैं। वैचारिक रूप से अन्ना ने देश की ऐसी रग पर हाथ रखा है जिसकी ओर कोई देख भी ले तो दर्द उभर आता है। अन्ना ने उसी रग को दबा दिया है। जनता की वो भीड़ जो राजनीतिक रूप से लोकतंत्र का हिस्सा है चिल्ला रही है। ये भीड़ व्यवस्था के प्रति अपना आक्रोश व्यक्त करने का यह मौका जाने नहीं देना चाहती है।  राजनीतिक रूप से असंतुष्ट भारत के पास विकल्प बहुत कम हैं। जो हैं भी उनका उपयोग सीमित है और उनका उपयोग कर पाने के लिए लम्बा इंतजार भी करना पड़ता है। लिहाजा अंदर ही अंदर एक घुटन सी होने लगी है। रातों रात सिस्टम को बदला नहीं जा सकता है।

धूल चेहरे पर होती तो क्या करते?

देश के सबसे विशाल प्रदेश की सबसे ताकतवर महिला के जूते पर धूल जमी थी। ये देख मैडम के साथ चल रहे एक अफसर से रहा नहीं गया। उसने तुरंत रुमाल निकाली और मैडम की जूतियों को साफ कर दिया। ये देख विपक्ष से रहा नहीं गया, लगे हल्ला मचाने। शाम तक सरकार ने एक बिल्कुल सोलिड कारण पेश कर दिया। बताया गया कि जूतियों पर जो धूल जमी थी उससे मैडम की सुरक्षा को खतरा था। लिहाजा सुरक्षा में लगे अफसरों का फर्ज बनता है कि धूल साफ करें। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। मैं भी तो यही कह रहा हूं। इसमें गलत कुछ भी नहीं है। अब भला देश के इतने बडे राज्य का कोई मुख्यमंत्री है। उसके जूते पर धूल लगी रहे और सुरक्षा में लगे अधिकारी देखते रहें। नहीं, बिलकुल नहीं। भले ही सूबे का मुखिया दलितों का सबसे बडा रहनुमां होने का दावा करता हो। सूबे में दलितों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं का जायजा लेने निकला हो। वो तो बस उड.न खटोले में बैठकर दूसरों पर धूल उड़ाता है। अपने जूते धूल में नहीं डालता। अगर गलती से जमीन पर पड.ी धूल ने उसकी जूती तक को छू लिया तो हमारे अफसर उसे कहीं का नहीं छोडगे। प्रदेश की धूल को समझ लेना चाहिए कि वो सिर्फ आम