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कैसे होती है इंटरनेट जासूसी

भारत में बैठे आप कब, कहां, क्या लिख रहे हैं, किससे फोन पर क्या बात कर रहे हैं, अमेरिका में बैठे अधिकारी सब देख-सुन रहे हैं. कभी सोचा है कि कैसे हो रहा है यह सब? क्या आपकी कंप्यूटर स्क्रीन उनके कंप्यूटर पर भी खुली है? अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के बड़ी इंटरनेट कंपनियों के जरिए जासूसी करने के मामले ने दुनिया भर में हलचल मचा दी है. भारत में भी नागरिक इस बात से चिंतित हैं कि ना सिर्फ अमेरिकी नागरिकों पर बल्कि भारत में रहने वाले लोगों के हर पल की खबर भी अमेरिका के हाथों में है. कैसे हो सकता है यह सब, क्या यह किसी डाक की तरह है जिसे शक होने पर अधिकारी कभी भी हाथ से खोल सकते हैं? जी नहीं, उससे भी ज्यादा. कैसे होती है इंटरनेट जासूसी भारत में सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक सुनील अब्राहम ने डॉयचे वेले को बताया कि फेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों के पास आपकी अलग अलग जानकारी होती है. समूची जानकारी को कंपनी का हर सदस्य नहीं देख सकता है. उनके पास आपकी नियमित जानकारी ही है. वे आपके मेसेज नहीं खोल सकते हैं. लेकिन जब खुफिया एजेंसी के पास आपके कंप्यूटर पर चल रहे