मैं जब यह पोस्ट टाइप कर रहा हूँ उस वक़्त सभी न्यूज़ चैनल्स पर पुणे में हुए आतंकवादी धमाकों के बारे में ख़बरें दिखाई जा रही हैं....महज कुछ देर पहले तक यह सभी चैनल्स प्यार के परिभाषा बता रहें थे...एक ऐसी बहस ka झंडा बुलंद किये हुए थे जिसका कोई राष्ट्रीय सरोकार नहीं था...एक चैनल तो अपने न्यूज़ रूम से ही प्यार प्यार खेल रहा था.....कितना अजीब देश है ना.....और कितनी अजीब मीडिया है यहाँ कि...प्यार प्यार का खेल पिछले कुछ सालों से इन न्यूज़ चैनल्स पर बदस्तूर जारी है.....स्पेशल प्रोग्राम बनाये जाते हैं ......पूरा दिन इसी पर खेलने कि कोशिश कि जाती है...मानो बहुत बड़ा पर्व आ गया हो.....उसकी कवरेज को लगभग सभी चैनल वाले बेहद बड़ी खबर के रूप में दिखातें हैं......शायद टी आर पी के चक्कर में.....शायद क्या यकीनन.....दरअसल प्यार वोह एहसास है जो हमेशा जवान रहता है....महबूब का साथ हो तो जवानी कब बचपने में बदल जाती है पता ही नहीं चलता.....किसी ने इसी मौके के लिए कहा है कि दिल तो बच्चा है जी ....सच ही कहा है हुज़ूर मान लीजिये....लेकिन पिछले कुछ सालों में इस बच्चे कि हालत बहुत ख़राब हो चली है.....इन मुएँ चैनल वा
न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर