सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

100 Very Cool Facts About The Human Body

100 Very Cool Facts About The Human Body by  Eric Allen Bell Nov 20, 2009 The human body is an incredibly complex and intricate system, one that still baffles doctors and researchers on a regular basis despite thousands of years of medical knowledge. As a result, it shouldn’t be any surprise that even body parts and functions we deal with every day have bizarre or unexpected facts and explanations behind them. From sneezes to fingernail growth, here are 100 weird, wacky, and interesting facts about the human body.   The Brain The human brain is the most complex and least understood part of the human anatomy. There may be a lot we don’t know, but here are a few interesting facts that we’ve got covered. Nerve impulses to and from the brain travel as fast as 170 miles per hour.  Ever wonder how you can react so fast to things around you or why that stubbed toe hurts right away? It’s due to the super-speedy movement of nerve impulses from your brain to the rest of your bo

जंग लडि़ए लेकिन अपने गुनहगारों को भी पहचानिए

पत्रकारिता की नगरी कहे जाने वाले शहर बनारस में इन दिनों पत्रकारों और पुलिस में ठनी है। यहां यह अभी स्पष्ट कर दूं कि पत्रकारों से तात्पर्य टीवी माध्यम के लिए काम करने वाले लोगों से है। दरअसल इस पूरी तनातनी के मूल में कुछ दिनों पहले काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर लाशों पर सट्टा लगाए जाने की खबर है। इस खबर में दिखाया गया कि आईपीएल में ही नहीं काशी में लाशों पर भी सट्टा लगता है। यह खबर सबसे पहले एक नेशनल न्यूज चैनल पर चली। इसके बाद कुछ क्षेत्रीय चैनलों पर भी सनसनीखेज तरीके से दिखायी गई।  पुलिस का आरोप है कि खबर प्रायोजित थी और मीडिया कर्मियों ने जानबूझकर यह खबर प्लांट की। सीधे शब्दों में कहें तो खबर मैनेज किए जाने का आरोप मीडिया कर्मियों पर लगा। लिहाजा पुलिस ने मीडिया कर्मियों के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया। पुलिस, पुलिसिया अंदाज मंे आ गई है। टीवी चैनलों के पत्रकारों के साथ पुलिस किसी अपराधी की तरह पेश आ रही है। हालात ये हैं कि पत्रकारों पर आरोप साबित हुए बिना ही उन्हें अपराधी की तरह दिखाया और बताया जाने लगा है। खबरें यह भी हैं कि कुछ पत्रकारों को मारा पीटा गया और उनके घर की महिलाओं के

बदल गया है मुस्तकबिल

नार्थ ब्लाक में चल रहा एक संवाद -  इतना हंगामा मचाने की क्या जरूरत है। आखिर ऐसा क्या हो गया। कोई तुफान आ गया? सुनामी आ गई? एक वोट से सरकार के गिरने का खतरा आ गया? सीबीआई ने अपनी क्लीन चिट वापस ले ली? नहीं न। तब इतना शोर क्यों मवा रहे हो। यार चीन ही तो है। भारत की सीमा में 19 किलोमीटर ही तो आए हैं। कोई दिल्ली तक तो नहीं आ गए न चीनी। अगर आ भी जाएं तो उनके साथ पहले फ्लैग मीटिंग करना।  उनको समझाना। बातचीत करके उनको वापस जाने को कहना। न माने तो भी कोई बात नहीं। फिर मनाना। मान ही जाएंगे। तुम तो जानते हो कि चीन की आबादी लगातार बढ़ रही है। रहने की जगह नहीं। दिनचर्या के कई और काम हैं जिनके लिए खुली जगह कम पड़ गई होगी। आने दो, हम सहिष्णुता की मूरत हैं। और हां, उनके खाने पीने का पूरा ध्यान रखना। कोई परेशानी न होने पाए। आखिर पड़ोसी हैं हमारे।  संवाद खत्म।  कुछ ऐसे ही हालात लग रहे हैं। देश की सरकार का जो रवैया चीनी सैनिकों की घुसपैठ को लेकर रहा है। उससे देश का कोई भी नागरिक संतुष्ट नहीं हो सकता।  पहले खबर आई कि चीनी सैनिक देश की सरहद पार कर भारत में घुस आए हैं। जाहिर है कि देश की जनता को पता

आजम खां चले लेक्चर देने

कितनी अजीब बात है न कि आजम खां को अमेरिका के बोस्टन में लोगान एअरपोर्ट पर सुरक्षा जांच के लिए रोक लिया गया। एक भारतीय होने के नाते आप और हम पहली बार में इसकी आलोचना ही करेंगे लेकिन जैसे ही इसके बाद आजम खां के व्यव हार और आरोपों की याद आएगी हम इसका मजा लेने लग रहे हैं। आजम खां काबीना मंत्री हैं ये उनके सरकारी प्रोफाइल में लिखा है लेकिन कुछ चीजें बिना लिखे ही आपको समझ में आ जाएंगी। कभी कभी नहीं बल्कि अक्सर ये लगता है कि आजम खां कैबिनेट मंत्री नहीं बल्कि खुद मुख्यमंत्री हैं। ये व्यवहार यूपी की जनता को कुछ अजीब जरूर लगता है लेकिन उसकी मजबूरी है। हमारे फिलहाल के संविधान में हमारे पास ये अधिकार नहीं है कि हम किसी की चलती साइकिल को रोक सकें। पांच साल तक तो हमें सहना ही होगा।  वैसे सपा के अधिकतर नेताओं को लग रहा है कि यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार होने का मतलब है कि खुला राज। यहां कानून का राज कहने की कोई जरूरत नहीं है। आजम खां की भी स्थिती ऐसी ही होगी। आप समझ सकते हैं। उन दिनों को याद कीजिए जब लग रहा था कि आजम खां का राजनीतिक करियर लगभग खत्म सा हो गया है। ऐसे में आजम खां को भी नहीं आभास र

जब नगरिया हो अंधेरी तो राजा हुआ न चौपट

अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बने काफी वक्त बीत चुका है। इस दौरान अखिलेश यादव दो बार बजट भी पेश कर चुके हैं। अखिलेश यादव जब देश के सबसे बड़े राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने तो उनके समर्थकों के साथ ही उनसे पार्टीगत तौर पर अलग लोगों में भी एक मौन खुशी देखी गई। अखिलेश के सत्ता संभालते ही लगा कि अब जल्द ही यूपी का काया कल्प हो जाएगा। ले किन हुआ ठीक उलट। मायावती के राज से पीछा छूटने के बाद अखिलेश का राज आया तो कहावत याद आई कि आसमान से गिरे खजूर में अटके। दरअसल अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री जरूर हैं लेकिन शासन किसी और का है। ये बात छुपाने की कोशिश जरूर होती रहें लेकिन अब लोग समझ चुके हैं कि अप्रत्यक्ष तौर पर शासन अखिलेश के पिता और राजनीतिक गुरू मुलायम सिंह यादव ही चला रहे हैं। इसमें आप कुछ और नाम भी जोड़ सकते हैं। आजम खां, शिवपाल यादव, नरेश अग्रवाल वगैरह वगैरह। यहां पर सपा और कांग्रेस का एक भेद भी सामने आता है। हालांकि दोनों ही पार्टियों ने युवा चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ा लेकिन अगर कांग्रेस जीत जाती और राहुल सीएम बनते तो सोनिया का इतना हस्तक्षेप शायद नहीं होता। खैर, बा