स्वर्ग से धरती पर उतरी देव नदी गंगा अब अपनी दयनीय स्थिती पर रो रही है...धर्मं और समाज के ठेकेदार इस देव नदी की सुध लेने की कौन कहे उसके नाम पर लूट खसोट में लिप्त हैं....आप को बनारस की बात बताता हूँ....बनारस यानि काशी॥यानि वाराणसी....यानि आनंदवन....इस बनारस में गंगा उलटी बहती है.....जी हाँ बनारस में गंगा उलटी बहती है..यहाँ गंगा उत्तर की ओ़र बहती है यहाँ गंगा का आकर भी बहुत खूबसूरत है..बनारस में गंगा अर्धचन्द्राकार रूप में है.....यानि एक छोर से खड़े होके अगर देखा जाए तो दूर तक गंगा और उसके किनारे बने लगभग ८० घाट एक पंक्ति में दिखाई देते हैं.....यही खूबसूरत नज़ारा देखने पूरी दुनिया से लोग आते हैं.....देशी विदेशी पर्यटक इन पक्के घाटों का मनोरम नज़ारा देख आशर्यचकित हो जाते हैं....वास्तु की दृष्टि से भी यह घाट बेहद महत्वपूर्ण हैं...लेकिन अब इन घाटों पर अब एक बड़ा खतरा आन पड़ा है....नदी वैज्ञानिक मान रहें हैं की यह घाट अब धीरे धीरे धंसते चले जायेंगे....यानि आनेवाला समय इन घाटों के लिये भयावह साबित हो सकता है .....गौर करने वाली बात यह है की इन घाटों की दुश्मन बनी है गंगा...वही गंगा जो कभी इन घाटों
न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर