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काशी के बारे में भ्रांतियों से बचिए

जिस काशी को स्वयं भगवान भोले नाथ ने अपने रहने का स्थान बनाया अगर उसी काशी की राजनीतिक आइने में छवि धूमिल की जाए तो दुख होता है। काशी, बनारस, वाराणसी ना सिर्फ एक शहर है बल्कि पूरी एक सभ्यता है। आधुनिक जीवन में महत्वपूर्ण दखल रखने वाली एजेंसियां भी ये मान चुकी हैं कि ये शहर मानव सभ्यता की शुरुआत से अब तक निरंतर बना हुआ है। इतने के बाद भी अगर काशी पर असभ्य होने का कलंक झेलना पड़े तो असहनीय पीड़ा होती है। पिछले कुछ वर्षों में काशी को लेकर भ्रांतियों को प्रचारित करने की मानों मुहिम चलाई जा रही हो। ये साबित करने की कोशिश की जा रही है कि काशी के निवासियों को शहरी जीवन जीने के तौर तरीके नहीं पता। काशी एक पिछड़ा और धारा से कटा हुआ शहर है। विश्व में इसकी छवि अच्छी नहीं है। काशी को लेकर ऐसी भ्रांतियों क्यों फैलाई जा रहीं हैं ये तो ठीक ठीक नहीं बताया जा सकता लेकिन लगता है कि राजनीतिक द्दंद में स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने के लिए काशी की सनातन सभ्यता का मानमर्दन करने की कुचेष्टा की जा रही है। प्रचारित किया जा रहा है कि काशी में साफ सफाई नहीं रहती है। इससे बढ़कर ये साबित करने का प्रयास है

VARANASI - CITY OF MOKSHA

The land of Varanasi (Kashi) has been the ultimate pilgrimage spot for Hindus for ages. Often referred to as Benares, Varanasi is the oldest living city in the world. These few lines by Mark Twain say it all: "Benaras is older than history, older than tradition, older even than legend and looks twice as old as all of them put together". Hindus believe that one who is graced to die on the land of Varanasi would attain salvation and freedom from the cycle of birth and re-birth. Abode of Lord Shiva and Parvati, the origins of Varanasi are yet unknown. Ganges in Varanasi is believed to have the power to wash away the sins of mortals.    Ganges is said to have its origins in the tresses of Lord Shiva and in Varanasi, it expands to the mighty river that we know of. The city is a center of learning and civilization for over 3000 years. With Sarnath, the place where Buddha preached his first sermon after enlightenment, just 10 km away, Varanasi has been a symbol of Hind

जंग लडि़ए लेकिन अपने गुनहगारों को भी पहचानिए

पत्रकारिता की नगरी कहे जाने वाले शहर बनारस में इन दिनों पत्रकारों और पुलिस में ठनी है। यहां यह अभी स्पष्ट कर दूं कि पत्रकारों से तात्पर्य टीवी माध्यम के लिए काम करने वाले लोगों से है। दरअसल इस पूरी तनातनी के मूल में कुछ दिनों पहले काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर लाशों पर सट्टा लगाए जाने की खबर है। इस खबर में दिखाया गया कि आईपीएल में ही नहीं काशी में लाशों पर भी सट्टा लगता है। यह खबर सबसे पहले एक नेशनल न्यूज चैनल पर चली। इसके बाद कुछ क्षेत्रीय चैनलों पर भी सनसनीखेज तरीके से दिखायी गई।  पुलिस का आरोप है कि खबर प्रायोजित थी और मीडिया कर्मियों ने जानबूझकर यह खबर प्लांट की। सीधे शब्दों में कहें तो खबर मैनेज किए जाने का आरोप मीडिया कर्मियों पर लगा। लिहाजा पुलिस ने मीडिया कर्मियों के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया। पुलिस, पुलिसिया अंदाज मंे आ गई है। टीवी चैनलों के पत्रकारों के साथ पुलिस किसी अपराधी की तरह पेश आ रही है। हालात ये हैं कि पत्रकारों पर आरोप साबित हुए बिना ही उन्हें अपराधी की तरह दिखाया और बताया जाने लगा है। खबरें यह भी हैं कि कुछ पत्रकारों को मारा पीटा गया और उनके घर की महिलाओं के