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जनवरी, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सोमनाथ मंदिर क्यों नहीं गए थे नेहरू? पढ़िए यहां पूरी जानकारी और खुद तय कीजिए

  राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां चल रही हैं। तमाम खास लोगों को बाकायदा निमंत्रण दिया जा रहा है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बतौर जजमान शामिल होंगे और मंदिर में मूर्ति की स्थापना करेंगे। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए कांग्रेस के तीन नेताओं को निमंत्रण आया। हालांकि कांग्रेस के इन नेताओं ने इस निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है। कांग्रेस नेताओं के द्वारा राम मंदिर का निमंत्रण ससम्मान अस्वीकार किए जाने के बाद उसपर तमाम तरह के सवाल उठ रहे थे। बीजेपी ने बाकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कांग्रेस पर निशाना साधा। हालांकि आज कांग्रेस की ओर से इस संबंध में प्रतिक्रिया आई है। कांग्रेस ने बीजेपी के आरोपों का एक एक जवाब दिया है। कांग्रेस पार्टी को नहीं बल्कि नेताओं को आया न्योता कांग्रेस के मुताबिक राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का न्योता कांग्रेस पार्टी को नहीं बल्कि उसके तीन नेताओं को आया है। कांग्रेस पार्टी ने साफ किया है कि उसकी ही पार्टी के उत्तर प्रदेश के नेता 22 जनवरी को अयोध्या जा रहें हैं और उन्हें किसी ने नहीं रोका है। कांग्रेस ने बी

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण कांग्रेस ने क्यों ठुकराया, रणनीति या भूल?

  राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां चल रहीं हैं।   प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए निमंत्रण पत्र बांटे जा रहे हैं। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का ये निमंत्रण कांग्रेस के नेताओं को भी मिला है। हालांकि कांग्रेस ने इसे अस्वीकार कर दिया है। अब सवाल ये कि इस निमंत्रण को सम्मान सहित अस्वीकार करने का क्या असर कांग्रेस पर पड़ेगा..सवाल ये भी है कि कोई असर पड़ेगा भी या नहीं   ?     मौजूदा राजनीतिक हालात देख कर यही लगता है कि राम मंदिर का निर्माण मोदी सरकार करा रही है और इसका सारा क्रेडिट मोदी सरकार को ही जाना चाहिए।   हालांकि शायद आप थोड़ी देर ठहर कर सोचे तो आपको लगेगा कि राम मंदिर के निर्माण में उन लाखों करोड़ों लोगों की आकांक्षाएं उम्मीदें आशाएं अधिक हैं जो प्रभु श्री राम का एक भव्य मंदिर इस देश में देखना चाहती थीं।   उन हजारों लाखों कारसेवकों का सामर्थ्य और संघर्ष अधिक है जो राम लला को उनके घर में स्थापित करने के लिए हर कुर्बानी देने को हमेशा तैयार रहे।   राम मंदिर पर फैसला सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसला दिया और इस फैसले के बाद ही मंदिर का निर्माण

भारत के खिलाफ बोलना मालदीव को पड़ने लगा है भारी

  भारत के खिलाफ बोलना मालदीव को अब भारी पड़ने लगा है। हालात यहां तक बिगड़ गए हैं कि मालदीव की मौजूदा सरकार के खिलाफ अब अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी चल रही है। माना जा रहा है कि भारत और भारत के प्रधानमंत्री के लिए नफरत भरे बयान के बाद मालदीव की मौजूदा सरकार गिर सकती है। आगे बढ़े इससे पहले कुछ पुरानी बातें याद कर लेते हैं।  भारत के पूर्व प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने एक बयान में कहा था कि-   हम अपने दुश्मन तो चुन सकते हैं पर पड़ोसी नहीं , रिश्ते तो चुन सकते हैं पर रिश्तेदार नहीं।   भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का ये बयान न सिर्फ भारत बल्कि उसके पड़ोसियों के लिए भी बेहद अहम माना जाता है। अटल बिहारी बाजपेयी अपने कार्यकाल में अपनी इस लाइन पर चलते भी रहे। यही वजह रही कि अटल बिहारी बाजपेयी के दौर में भारत ने पाकिस्तान के साथ मधुर संबंध बनाने की हर संभव कोशिश की। कभी बैठकें हुईं तो कभी बसें चलीं। हालांकि पाकिस्तान अपनी आदतों से बाज नहीं आया और आखिरकार अमन की ये कोशिशें बंद कर दी गईं।  समय बदला और नीतियां भी बदल गईं समय बदला, सत्ता बदली और 2014