सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

Very Interesting facts!

Christianity…. One Christ, One Bible Religion… You know the Latin Catholic will not enter Syrian Catholic Church. These two will not enter Marthoma Church. These three will not enter Pentecost Church. These four will not enter Salvation Army Church. These five will not enter Seventh Day Adventist Church. These six will not enter Orthodox Church. These seven will not enter Jacobite church. Like this there are 146 castes in Kerala alone for Christianity, each will never share their churches for fellow Christians..! Wonderful..! One Christ, One Bible, One Jehova..... What a unity! Now Muslims..! One Allah, One Quran, One Nebi....! Great unity! Among Muslims, Shia and Sunni kill each other in all the Muslim countries. The religious riot in most Muslim countries is always between these two sects. The Shia will not go to Sunni Mosque. These two will not go to Ahamadiya Mosque. These three will not go to Sufi Mosque. These four will not go to Mujahiddin mosque. Like this it appears there are
साल नया है, उम्मीद भी नयी होगी। लेकिन जब देश के माथे पर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहलाने का तमगा लगा हो तो चुनाव से बड़ा लोकतंत्र कुछ हो नही सकता और इसे बरकरार रखने में दुनिया के सामने सबसे बडी राजनीतिक तानाशाही भी होती होगी। क्योंकि लोकतंत्र के उलट तानाशाही होती है। तो साल नया है। उम्मीदे चाहें जो हो लेकिन नज़रे सभी की आम चुनाव पर ही हैं। क्योंकि चुनाव का मतलब देश में रोजगार का सबसे बड़े धंधे का खेल है। जिसमें अरबों के वारे-न्यारे झटके में हो जाते है और देश नारा लगाता है चुनावी लोकतंत्र जिन्दाबाद। क्योंकि चुनावी राजनीति में जीत ही अगर देश के लोकतंत्र और संविधान की जीत है तो पांच राज्यों के चुनाव परिणाम में लोकतंत्र की राजनीतिक तानाशाही का अक्स छुपा है, यह भी अब खुलकर उभर रहा है। यह माना गया कि आतंकवाद को लेकर बीजेपी की राजनीति कांग्रेस के कुछ ना करने के सामने हार गयी। यह माना गया कि विकास का ढिढोरा न्यूनतम जरुरतों के सामने हार गया। यह माना गया कि महंगाई का दर्द नेताओ के लाभ भरे भरोसे के सामने हार गया। अगर यह सब हुआ है तो चुनावी लोकतंत्र को पूंछ से नही सूंड से पकड़ें। छत्तीसगढ़ को ध

अब क्या करेगी सरकार

पकिस्तान ने ऐसा कुछ नही किया जिसकी हमें उम्मीद नही थी, उसना ठीक वैसा ही किया जैसा एक आम भारतीय सोच रहा था......मुंबई हमले के दौरान हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने पकिस्तान को अपने हिसाब से काफी कड़े शब्दों में चेतावनी दे दी थी पर उसका क्या हाल हुआ यह हम सब ने देख लिया.....उस वक्त तो पकिस्तान ने हमसे कह दिया की वोह हमें सहयोग करेगा.... लेकिन जैसे जैसे हमारे देश के नेतायों की राजनीती शुरू हुयी वैसे ही पकिस्तान भी अपने रंग में आ गया....अब तो वोह न तो हमें हमारे गुनाहगार देगा और न तो दहशतगर्दी का खेल बंद करेगा....उपर से पाकिस्तानी अख़बारों का यह कहना की भारत में जो कुछ हो रहा है वोह भारतीय ही करा हैं काफी सोचनीय विषय है....

क्या कहना

क्या कहना सुच में अपने देश के राजनीतिज्ञों के बारे में कुछ भी कह पाना बहुत मुश्किल है...यह दूसरो को कुत्ता बना रहे हैं और अपने बारे में सोचने के वक्त भी नही निकाल पा रहें हैं... केरल के मुख्यमंत्री अच्युतानंद जी से अब यह उम्मीद नही थी की वोह अपने बारे में सोच पाने का समय भी नही निकाल पाएंगे....अरे हुज़ूर मुख्यमंत्री जी क्या आप को मालूम है की अगर आप सी. एम्. नही होते तो देश की जनता आप के साथ क्या सलूक करती....
बदलाव यहाँ भी ........  बहुत बहुत अच्छा हुआ की संजय निरुपम को अपनी ही नही देश के हर नेता की औकात का पता चल गया.....उन्हें ही नही देश के हर नेता को अपनी औकात का पता चल गया.....जिस तरह से मुंबई के लोगों ने संजय निरुपम को भाग जाने पर मजबूर कर दिया इसी तरह देश के तमाम नेताओं के साथ भी करना चाहिए ....लेकिन देश के उन तमाम पढ़े लिखे लोगों को भी सोचना चाहिए की वो देश को दे क्या रहें हैं.....मैं मानता हूँ की आप बहुत कुछ दे रहें होंगे पर शायद आप अपना वोट नही दे रहें हैं.....और जब तक आप वोट नही देंगे इस समस्या का समाधान दूंढ़ पाना बहुत मुश्किल है...हम इन नेताओं को वैसे इन्हे नेता कहना ग़लत है...यह लोकतंत्र की नौकरी कर रहें हैं और सांसद या विधायक हैं लेकिन नेता तो नही हैं...बहरहाल बात वोट की हो रही है तो उसी की हो ...... पढ़े लिखे लोगों के लिए वोट देने जाना एक जहमत के जैसे होता है.....वो तो वोटिंग वाले दिन को छुट्टी के दिन की तरह मानते हैं .....इस दिन लोग अपने नाते रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं....इंजॉय करते हैं....पर वोट नही देते हैं.........ए मेरे वतन के लोगों वोट दीजिये और इन सांसदों और वि
dhanyavaad pradhan mantri ji dhaynavad pradhanmantri ji aapne hame yeh bataya diya ki mumbai mein aatanki hamla karne wale padosi desh ke the, shayad aapka ishara pakistan ki taraf tha.....lekin yeh mahaj ek lachar bhartiya ki soch hai shayad aap kisi aur desh ki oore isharaa kar rahen ho...aapko dhanyavad ki aap ne ek baar phir apni pratibadhtaha vayakt ki aatankvaad se ladne ke liye....ab aap kah rahen hain ki is aatankvaad ko sakhti se kuchla jayega.....aapko bahut bahut dhanyavad....lekin jara ek baar desh ke aam aadmi se bhee pooch lijiye ki woh aapki is soch ke bare mein kya sochta hai....ab kisi rajnitigya ka yeh kahna ki woh aatankvaad ke khilaf ladai mein apni jaaan de denge kisi veshya ke rone jaise lagta hai....aap raag alapte rahiye aur desh vashiyopn ki jaan jane dijiye aur aap apne grihmantri ke sath planning mein vyasat rahiye aakhhir yeh bhee to bahut zarooroi kaam hai.....halanki ab desh ka har shaksha yeh maa chuka hai ki rajnitik ichhashakt