आज बहुत दिनों के बाद लिख रहा हूँ....लिखने का मन तो बहुत करता है लेकिन लिख नही पाता हूँ...खैर छोडिए लोकसभा चुनाव होने वालें हैं ..एक पत्रकार होने के नाते मुघे काफी तैयारी करनी है....बहुत सारे हिसाब लगाने हैं.... इस चुनावमें हो सकता है बड़ी जिम्मेदारी उठानी पड़े..आप लोगों से एक बात कहना चाहता हूँ....मैंने कई बार और कई तरह के चुनाव देखे हैं...इन्हे काफी करीब तो नही लेकिन कुछ करीब से ज़रूर देखा है...एक बात जो मैंने महसूस की है वो है अब के चुनावों में लोगों क जोश न रहना...लगता है लोगों को महज शिकायत करने की आदत होती जा रही है....लेकिन इस शिकायत को दूर करने की कोशिश कोई नही करना चाह रहा है...मतदाता वोट देने के लिए नही जन चाहता है उसे लगता है की घर में रहा जाए तो अच्छा होगा.... बाहर निकल के वोट देने की जहमत नही उठाना चाहता है कोई ....वोट के साथ स्टेटस जुड़ गया है....अपने को संभ्रांत मानने वाला वर्ग वोटिंग करने के लिए नही जाता है जानते हैं क्यों ? पता नही मालूम नही ..आप को मालूम हो तो बताना...... लेकिन यह एक ग़लत प्रथा है....आज देश को कुछ ही लोग चला रहें हैं...हमारी यही स्थिति रही तो आख़िर हम
न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर