धीरे धीरे अब मौसम सर्द होने लगा है कमरे में आने वाली धूप अब अलसा गयी है गहरे रंग के कपड़ों से आलमारी भर गयी है ऊनी कपड़ों से आती नेफ्थलीन की महक तैर रही है कमरे में सुबह देर तक तुम्हारे आलिंगन में बिस्तर पर पड़ा हूँ ना तुम उठना चाहती हो ना मैं देखो हम साथ खुश हैं तुम हर बार की तरह कहती हो टच वुड मैं भी कहता हूँ टच वुड तुम्हारे साथ घर तक का सफ़र हमेशा लम्बा लगता है हाँ, जब इसी रास्ते से स्टेशन जाता हूँ तो राह छोटी हो जाती मैं देर तक तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ हम हमेशा साथ रहेंगे तुम फिर कहती हो टच वुड मैं भी तुम्हारे साथ कहता हूँ टच वुड एक रिश्ते का ऐसा उत्सव विकल्पहीन है यह सौंदर्य तुम्हारी पतली ऊंगलियों के बीच में अपनी ऊंगलियों को डाल कर कितना कुछ पा जाता हूँ मैं तुम्हारे चेहरे पर तैरती हंसी भी बहुत अच्छी लगती है इस बार मैं पहले कहूँगा टच वुड बोलो अब तुम भी बोल...
न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर