दो-चार दिनों पहले धूप सर्द सी लगी थी
पड़ोस की एक महिला ने भी बताया था कि सर्दी आ गयी है
माँ अब व्यस्त है
बक्से में रखे
कम्बल, स्वेटर और मफलर निकालने में
वो इसे धूप में रखेगी
कई बार उलटेगी पलटेगी
भागती धूप के साथ
चटाई भी बिछाएगी
वो जानती है
बच्चों को नेफ्थलीन की महक पसंद नहीं
वो पूरी तरह से इत्मीनान कर लेना चाहती है
बच्चों को खुश रखने का
कई बार बोल बोल कर आखिरकार वह पहना ही देगी
बच्चों को स्वेटर
इस बार अपनी पुरानी शाल में
अपना पुराना कार्डिगन पहने
वो सोचती रहेगी
बच्चों के लिए
एक नया स्वेटर लेने के लिए.
thand maa ki yaad dilati hai,
जवाब देंहटाएंbaccho ko thand se vahi to bachati hai.
behtreen post...
जवाब देंहटाएंमाँ बस हर तरह से कुछ देना ही चाहती है.... जीवन भर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
बिलकुल सच कहा सर!
जवाब देंहटाएंसादर
माँ की भावनाये..बस माँ ही ऐसी हो सकती है.
जवाब देंहटाएंयही है माँ.... सुंदर भाव...
जवाब देंहटाएंसादर
बेहतरीन सुन्दर भावो की अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सुन्दर भावो की अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंमां के कोमल एहसासों को शब्दों में उतारा आपने बखूबी .. आभार ।
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