धीरे धीरे अब मौसम सर्द होने लगा है
कमरे में आने वाली धूप अब अलसा गयी है
गहरे रंग के कपड़ों से आलमारी भर गयी है
ऊनी कपड़ों से आती नेफ्थलीन की महक तैर रही है
कमरे में
सुबह देर तक तुम्हारे आलिंगन में
बिस्तर पर पड़ा हूँ
ना तुम उठना चाहती हो
ना मैं
देखो हम साथ खुश हैं
तुम हर बार की तरह कहती हो
टच वुड
मैं भी कहता हूँ
टच वुड
तुम्हारे साथ घर तक का सफ़र हमेशा लम्बा लगता है
हाँ, जब इसी रास्ते से
स्टेशन जाता हूँ तो राह छोटी हो जाती
मैं देर तक तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ
हम हमेशा साथ रहेंगे
तुम फिर कहती हो
टच वुड
मैं भी तुम्हारे साथ कहता हूँ
टच वुड
एक रिश्ते का ऐसा उत्सव
विकल्पहीन है यह सौंदर्य
तुम्हारी पतली ऊंगलियों के बीच में
अपनी ऊंगलियों को डाल कर
कितना कुछ पा जाता हूँ मैं
तुम्हारे चेहरे पर तैरती हंसी भी
बहुत अच्छी लगती है
इस बार मैं पहले कहूँगा
टच वुड
बोलो
अब तुम भी बोलो ना
टच वुड
प्यार भरी रचना प्यार भरे दिल से लिखी गयी , कहीं नज़र ना लगे टच वुड ,
जवाब देंहटाएंtouch wood :) बहुत अच्छा लिखा है आपने ....समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है ..
जवाब देंहटाएंटच वुड... बहुत ही खुबसूरत अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 01-12 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज .उड़ मेरे संग कल्पनाओं के दायरे में