ये अच्छा है कि हमारा समाज महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार को रोकने
के लिए चर्चा तो कर
रहा है लेकिन दुखद ये है कि हमारी चर्चाओं औऱ कोशिशों के बावजूद हमारे ही
समाज का एक हिस्सा महिलाओं के साथ अत्याचार करता ही आ रहा है। पता नहीं
लेकिन कभी कभी लगता है कि ये अत्याचार पारंपरिक रवायतों के हिस्से तो नहीं
हो गए। या फिर पुरुषवादी मानसिकता को ऊपर रखने की कोशिश। कुछ भी हो लेकिन
समाज को बदलने में वक्त लगेगा और उम्मीद ही कर सकते हैं कि समाज बदलेगा तो
जरूर।
सुखद लगता है कि जब महिलाएं इस बारे में
मुखर होकर बोलती और
आवाज उठाती हैं। पूजा बतुरा भी आवाज उठाने वालों में से एक हैं। एक छोटी
सी फिल्म और एक लंबी कहानी। यू ट्यूब लिंक साझा कर रहा हूं शायद आपका देखना
भी महिला अधिकारों का समर्थन करना होगा।
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (21-10-2016) के चर्चा मंच "करवा चौथ की फिर राम-राम" {चर्चा अंक- 2502} पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा शुरू हुयी अच्छी बात है अब समाधान भी निकलेगा ...
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