समझ में नहीं आता कि इस देश के लोगों को हो क्या गया है? आखिर वो करना क्या चाहते हैं? तिरंगा फहराना चाहते हैं. वो भी लाल चौक पर. हद ही तो है. भला ऐसा करने का हक उन्हें किसने दिया? केंद्र सरकार उन्हें रोकने की तैयारी में है तो कोई गलत नहीं है. सीआरपीएफ लगा कर सरकार उन्हें रोकने की तैयारी में है तो रोकने दो. मुझे इसमें कोई गलत बात नहीं नज़र आती. एक भारतीय होने का मतलब ये कतई नहीं है तुम श्रीनगर की लाल चौक पर जा कर तिरंगा फहरा दो. तुम अपनी गली में फहरा लो, बालकनी में फहरा लो. क्या कम जगहें हैं? लेकिन श्रीनगर में लाल चौक पर तिरंगा नहीं फहर सकता, सुना तुमने.
केंद्र सरकार अपने विज्ञापनों में कहती है कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और अरुणाचल से गुजरात तक भारत एक है. अब कहने का क्या है? बहुत सी बातें कही जातीं हैं सब की सब सही ही होती है क्यां? यह सब तो कहने भर के लिए है. कश्मीर तो .....है किसी का, मुझे पता करने पड़ेगा. किसी पुरानी किताब में पढ़ा था कि कश्मीर भारत का है. अब पता नहीं ऐसा है या नहीं? हाँ, कन्याकुमारी तो खालिस अपना ही है अभी तक. जहाँ तक बात अरुणांचल कि है तो शायद यह भी भारत का ही हिस्सा है. लेकिन अगर कोई पड़ोसी मुल्क इससे अपने देश के नक़्शे में में दिखा ले तो भी हमें क्या फर्क पड़ता है? चलता है. कांग्रेस सरकार इन सब बातों का बुरा नहीं मानती है. गुजरात का क्या है, वो कहाँ जाने वाला है? इन सब बातों में पड़कर देश के लोगों को अपना वक़्त और देशभक्ति की भावना को बर्बाद नहीं करना चाहिए.
यह देश अलगाव वाद की राजनीती करने वालों को सुरक्षा देता है. उनपर कोई करवाई करने से डरता है. जब कभी वो देश के दिल दिल्ली में आकर पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लागतें हैं तो उन्हें सुरक्षा दी जाती है. उनकी सभाएं सकुशल सम्पन्न हो इसके लिए विशेष इन्तेजामात किये जाते हैं. देखा इस देश के लोगों का दिल. कितना बड़ा है. खासकर केंद्र सरकार का तो कहना ही क्या. सांसद के आरोपी को मेहमान बना कर रखा है. कोई देश ऐसा कर सकता है? नहीं ना. देखा ये तो कांग्रेस सरकार कर सकती है. सिर्फ कांग्रेस सरकार.
वैसे एक बात कहूं दोस्तों, अगर इंडियंस को छोड़ दो ना तो इस देश के 'हिन्दुस्तानी' लाल चौक पर तो क्या लाहौर पर भी पल में तिरंगा फहरा दे. वाशिंगटन डीसी पर भी केसरिया, सफ़ेद और हरा रंग ही नज़र आये. लेकिन करेंगे क्या? जब देश से बड़ा वोट हो. ईमान से बड़ा नोट हो, तो ऐसे कदम तो उठाने ही पड़ते हैं. कोई बात नहीं गिलानी को खुश रखो. एक पाकिस्तानी झंडा उसके लिए तैयार रखो. लेकिन इतना सुन लो, लाल चौक पर तिरंगा तो फहर कर ही रहेगा. क्योंकि ये हिन्दुस्तान की कसम है.
बहुत ही करारा प्रहार किया है क्या करें २६ जनवरी को ही हम लोगों को देश की अस्मिता अखंडता की याद आती है..इस देश की एसी आदत बन गई है..जिस संजीदगी से आप की ये लेखन यात्रा चल रही है उस पर विराम मत लगने दिजिएगा ..आगे आनेवाला कल हमारा है
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