जयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में जितनी बार नाम राहुल गांधी का लिया गया अगर उसका एक फीसदी हेमराज और सुधाकर को याद किया होता तो शायद हमें गर्व होता कि हमारे देश पर कांग्रेस ने कई साल तक राज किया है। हैरानी होती है कि कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी के नेताओं ने विदेश और रक्षा नीति पर एक भी नोट जारी नहीं किया। जबकि मुल्क का एक बड़ा तबका ये उम्मीद लगाए बैठा था कि कांग्रेस सबसे पहले सुधाकर और हेमराज के मुद्दे पर अपना बयान जारी करेगी। आखिर सुधाकर और हेमराज को याद न करने की मजबूरी कांग्रेस के लिए क्या हो सकती है। ये तो कांग्रेस के नेता ही जाने लेकिन इतना तो तय है कि कांग्रेस के इस रवैए से शहीदों के प्रति उसके चरित्र का पता चल गया है। कांग्रेस से उम्मीद थी कि कम से कम राहुल बाबा के ही जरिए कांग्रेस इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करेगी। लेकिन कांग्रेस चुप रही। मुझे लगता है कि कांग्रेस के पास कहने के लिए बहुत कुछ था भी नहीं। कांग्रेस और कांग्रेसी दोनों ही महज इस बात के चिंतन में लगे रहे कि राहुल को कैसे आगे लाया जाए। कांग्रेस इस देश की ही दुनिया की एक बड़ा राजनीतिक पार्ट...
न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर