शक्ल खूबसूरत, सीरत बदसूरत |
मैडम हिना रब्बानी खार कह रही हैं कि भारत युद्ध पर आमादा है। बड़ा हैरतअंगेज और हास्यास्पद बयान ये है। मैडम साहिबा को विदेश मामलों का कितना ज्ञान है ये तो नहीं पता लेकिन इतना जरूर है कि मैडम को अपना लुक बनाए रखने का पूरा ध्यान रहता है। 1977 में जब मैडम हिना का जन्म हुआ उसके बाद उन्होंने आज तक उन्होंने कोई वास्तविक जंग देखी भी नहीं। हां, ये जरूर है कि कारगिल की जंग उन्होंने जरूर देखी होगी। हालांकि उस वक्त मैडम हिना महज 22 साल की ही रहीं होंगी। और उन्हें जंग की कितनी समझ रही होगी ये आप और हम समझ सकते हैं। मैडम की कुल जमा उमर अब भी 36 ही है। अब 36 की उमर में वो न तो 47 की समझ सकती हैं, न 65 को समझ सकती हैं, न 71 को। मैडम हिना ने मैसाच्युट्स यूनिवर्सिटी से व्यापार प्रबंधन में एमएससी की डिग्री ली है। मैडम पहले पाकिस्तान में वाणिज्य मंत्रालय संभाला करती थीं। कुछ दिनों से भारत के साथ रिश्ते सुधारने में लगा दी गईं हैं।
यहां भारतीयों का सौंदर्य प्रशंसक होना भी मैडम के ऐसे बयानों की वजह है। मैडम जब भारत आईं तो भारतीय मीडिया ने उनकी जो ग्लैमरस छवि पेश की, कि बस पूछिए मत। न्यूज पढ़ते पढ़ते एंकर भावुक होने लगे। मैडम हिना ने बयान दिया कि वो भारत को एक अलग लेंस से देख रहीं हैं। ऐसे बयानों ने हिना मैडम को सुर्खियों में ला दिया। हमें भी लगा कि चलो एक नासूर खत्म हो गया। लेकिन याद करिए कि उसी वक्त मैडम चीन भी गईं थीं। लेकिन भारतीय इलेक्ट्रानिक मीडिया ने मैडम का जितना सौंदर्यमंडन किया उसका एक फीसदी भी चीन की मीडिया ने नहीं किया। खैर छोडि़ए, हमने मैडम से हाथ मिलाया तो छुरा भी तो हमारी ही पीठ में घोंपा जाएगा।
हाल फिलहाल मैडम को अब लगता है कि भारत ने सीमा पर तनाव बढ़ा दिया है और यु़द्ध की स्थितियां पैदा कर दी हैं। लेकिन मैडम साहिबा आप शायद भूल रहीं हैं कि ये मुल्क 1947 के बाद से रोजाना एक नई अनजानी जंग का सामना करता है। ये जंग या तो आपकी रहनुमाई में होती है या फिर आप खुद छेड़ती हैं। कभी आप संसद पर हमला करवाती हैं तो कभी लोकल ट्रेनों में अपने भाड़े के ट्टुओं को भेज कर धमाके कराती हैं। आप भूल जाती हैं कि हम अमन का पैगाम लेकर कराची गए तो आप दहशतगर्दों का ठिकाना कारगिल की पहाडि़यों में बनवा रहीं थीं।
हिना रब्बानी खार, खैरियत मनाओ कि हिंदुस्तान में गांधी पैदा हुआ था। लेकिन ये मत भूलो कि यहीं भगत और आजाद भी जन्मे थे। मैडम साहिबा जंग हमने कभी न चाही और न चाहेंगे लेकिन इतना जरूर है कि सरहदों का निगहबानी में हमें ही अपनी जमीं पर आपकी सेनाओं की बिछाई लैंडमाइंस मिलीं हैं। हम अब भी चुप हैं समझा रहे हैं, समझ जाइए। हाथ मिलाइए, दिल मिलाइए लेकिन पीठ में छुरा मत घोंपिए।
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