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हैड़ाखान बाबा: हिमालय के वो आदि योगी जो स्वयं शिवत्व को प्राप्त थे

हैड़ाखान बाबा की छवि कुछ यात्राएं ऐसी होती हैं, जो न केवल हमारी आत्मा को शांति देती हैं, बल्कि हमें अपने भीतर के सच्चे स्वभाव से भी मिला देती हैं। हालांकि ये यात्रा वृतांत मैं इस अलौकिक स्थल से लौटने के काफी समय बाद लिख रहा हूं। संभवत: एक लंबी अवधि बीत जाने के बाद भी किसी स्थल का मन में इतना प्रभावी तौर पर बने रहना ही बताता है कि वो स्थल कितना प्रभावशाली होगा। आपमें से कई लोगों ने शायद हेड़ाखान मंदिर के बारे में सुना हो लेकिन कई लोग अब भी ऐसे होंगे जो शायद हेड़ाखान मंदिर के बारे में बहुत कम जानते होंगे। 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए घुमक्कड़ी के दौरान ही मुझे इस स्थान पर जाने का सौभाग्य मिला। आज सोचा इस ब्लाग पोस्ट में आप सब को भी इस स्थल की महत्ता के बारे में क्यों न बताया जाए। तो चलिए शुरू करते हैं।   उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित हेड़ाखान मंदिर मेरी ऐसी ही यात्रा का हिस्सा बना। इस यात्रा ने न केवल मेरे मन को शांति दी, बल्कि मुझे एक अद्भुत अनुभव भी प्रदान किया। यात्रा की शुरुआत जैसा कि मैं पहले ही बता चुका हूं, यह यात्रा 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान की है। अपने सं...
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भारत में पत्रकारों की स्थिति बेहद खराब, धरना, प्रदर्शन, प्रेस रिलीज छापिए, जिंदगी बची रहेगी।

सोचिए कि उस पत्रकार के घरवालों पर क्या बीतेगी जब उन्हे ये पता चलेगा कि उनका बेटा, भाई, पत्रकारिता करते हुए मारा गया और उसकी लाश को सेप्टिक टैंक में फेंक दिया गया। उसकी आंखों में नुकीली तारें डाली गईं, उसके सिर पर लोहे की रॉड से मारा गया। क्या आप सोच सकते हैं कि ये सबकुछ कितना विभत्स रहा होगा। शायद आप, हम ये नहीं सोच सकते हैं और न ही ये सोच सकते हैं कि किसी पत्रकार के इस हाल में पहुंचने पर उसके घर वालों पर क्या बीत रही होगी।  समांतर व्यवस्था है भ्रष्टाचार छत्तीसगढ़ के मुकेश चंद्राकर की हत्या आपको भारत में पत्रकारिता के उन खतरों से रूबरु कराती है जो अनदेखे हैं और बहुत हद तक अनसुने भी हैं। ये ऐसे खतरे भी हैं जिनके बारे में आमतौर पर सरकारों के जरिए आंखें बंद रखने की कोशिश की जाती है जबतक कि बहुत अधिक दबाव न बन रहा हो। मुकेश की हत्या देश में भ्रष्टाचार के उस समांतर सिस्टम के जरिए की हत्या है जिसे रोक पाना या खत्म कर पाना किसी सरकार के बस की बात नहीं लगती है।सरकारें, सरकारी अधिकारी, टेंडर, ठेकेदार और भ्रष्टाचार की ये समांनर व्यवस्था है जो पर्दे के पीछे भारत के आम नागरिक को हताश और निराश ...

सोमनाथ मंदिर क्यों नहीं गए थे नेहरू? पढ़िए यहां पूरी जानकारी और खुद तय कीजिए

  राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां चल रही हैं। तमाम खास लोगों को बाकायदा निमंत्रण दिया जा रहा है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बतौर जजमान शामिल होंगे और मंदिर में मूर्ति की स्थापना करेंगे। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए कांग्रेस के तीन नेताओं को निमंत्रण आया। हालांकि कांग्रेस के इन नेताओं ने इस निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है। कांग्रेस नेताओं के द्वारा राम मंदिर का निमंत्रण ससम्मान अस्वीकार किए जाने के बाद उसपर तमाम तरह के सवाल उठ रहे थे। बीजेपी ने बाकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कांग्रेस पर निशाना साधा। हालांकि आज कांग्रेस की ओर से इस संबंध में प्रतिक्रिया आई है। कांग्रेस ने बीजेपी के आरोपों का एक एक जवाब दिया है। कांग्रेस पार्टी को नहीं बल्कि नेताओं को आया न्योता कांग्रेस के मुताबिक राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का न्योता कांग्रेस पार्टी को नहीं बल्कि उसके तीन नेताओं को आया है। कांग्रेस पार्टी ने साफ किया है कि उसकी ही पार्टी के उत्तर प्रदेश के नेता 22 जनवरी को अयोध्या जा रहें हैं और उन्हें किसी ने नहीं रोका है। कांग्रेस न...

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण कांग्रेस ने क्यों ठुकराया, रणनीति या भूल?

  राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां चल रहीं हैं।   प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए निमंत्रण पत्र बांटे जा रहे हैं। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का ये निमंत्रण कांग्रेस के नेताओं को भी मिला है। हालांकि कांग्रेस ने इसे अस्वीकार कर दिया है। अब सवाल ये कि इस निमंत्रण को सम्मान सहित अस्वीकार करने का क्या असर कांग्रेस पर पड़ेगा..सवाल ये भी है कि कोई असर पड़ेगा भी या नहीं   ?     मौजूदा राजनीतिक हालात देख कर यही लगता है कि राम मंदिर का निर्माण मोदी सरकार करा रही है और इसका सारा क्रेडिट मोदी सरकार को ही जाना चाहिए।   हालांकि शायद आप थोड़ी देर ठहर कर सोचे तो आपको लगेगा कि राम मंदिर के निर्माण में उन लाखों करोड़ों लोगों की आकांक्षाएं उम्मीदें आशाएं अधिक हैं जो प्रभु श्री राम का एक भव्य मंदिर इस देश में देखना चाहती थीं।   उन हजारों लाखों कारसेवकों का सामर्थ्य और संघर्ष अधिक है जो राम लला को उनके घर में स्थापित करने के लिए हर कुर्बानी देने को हमेशा तैयार रहे।   राम मंदिर पर फैसला सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसला दिया...

भारत के खिलाफ बोलना मालदीव को पड़ने लगा है भारी

  भारत के खिलाफ बोलना मालदीव को अब भारी पड़ने लगा है। हालात यहां तक बिगड़ गए हैं कि मालदीव की मौजूदा सरकार के खिलाफ अब अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी चल रही है। माना जा रहा है कि भारत और भारत के प्रधानमंत्री के लिए नफरत भरे बयान के बाद मालदीव की मौजूदा सरकार गिर सकती है। आगे बढ़े इससे पहले कुछ पुरानी बातें याद कर लेते हैं।  भारत के पूर्व प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने एक बयान में कहा था कि-   हम अपने दुश्मन तो चुन सकते हैं पर पड़ोसी नहीं , रिश्ते तो चुन सकते हैं पर रिश्तेदार नहीं।   भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का ये बयान न सिर्फ भारत बल्कि उसके पड़ोसियों के लिए भी बेहद अहम माना जाता है। अटल बिहारी बाजपेयी अपने कार्यकाल में अपनी इस लाइन पर चलते भी रहे। यही वजह रही कि अटल बिहारी बाजपेयी के दौर में भारत ने पाकिस्तान के साथ मधुर संबंध बनाने की हर संभव कोशिश की। कभी बैठकें हुईं तो कभी बसें चलीं। हालांकि पाकिस्तान अपनी आदतों से बाज नहीं आया और आखिरकार अमन की ये कोशिशें बंद कर दी गईं।  समय बदला और नीतियां भी बदल गईं समय ब...

बिना प्रोटोकॉल के जलती चिताएं और प्रोटोकॉल निभाने की सीख देता देश का चौकीदार

क्या होता है प्रोटोकॉल, जानते हैं आप? नहीं जानते न? बहुत सी लाशें हैं जो बिना प्रोटोकॉल के ही श्मशान तक पहुंच गईं। यूं तो लाशों की बात लिखनी तो सबसे अंत में चाहिए थी लेकिन नथुनों में भरी इंसानी लाशों की गंध आपको रुकने नहीं देती तो कलम अपने आप सबसे पहले यही पंक्ति लिख देती है। कलम को भी शायद प्रोटोकॉल नहीं आता।  आप जानते हैं लाशें कैसे जलाई जाती हैं? कभी किसी जलती चिता के पास खड़े होकर इंसानी लाश से उठती गंध को जाना है आपने? यही वो अंतिम एहसास होता है जो आपके अपने आपके साथ छोड़ जाते हैं। बिना किसी प्रोटोकॉल के। अच्छा आप इतना तो जानते ही होंगे कि लाशों का भी अपना सम्मान होता है। वही सम्मान जो हम उन्हें अनंत यात्रा पर विदा करने से पहले देते हैं। लेकिन आप ये भी जानते होंगे कि मौजूदा वक्त में वो सम्मान भी हम अपने अपनों को देना चाहते हैं उसमें भी ‘प्रोटोकॉल’ ही आड़े आता है।  अच्छा बताइए, आपका कोई अपना ऑक्सीजन की कमी से तड़प रहा हो, तिल तिल कर मरने की तरफ बढ़ रहा हो तो आप कौन सा प्रोटोकॉल फॉलो करते हैं। या फिर कौन सा प्रोटोकॉल फॉलो करना चाहिए? अपने परिजन को गोद में लिए धीरे धीरे...