आज आपको एक ऐसी इबादतगाह के बारे मैं बताता हूँ जहाँ दरअसल इंसानियत की पूजा होती है....यह इबादतगाह है हमेशा से अपनी गंगा जमुनी तहजीब के लिए जाने जाये वाले शहर बनारस में है....बनारस के चौक इलाके की एक तंग गली...इसी गली में है यह इबादतगाह....मैं बात कर रहा हूँ अनार वाली मस्जिद का.....इसको अनार वाली वाली मस्जिद कहने के पीछे कारण है इस मस्जिद में लगा अनार का पेड़....इसी पेड़ के चलते इस मस्जिद का नाम अनार वाली मस्जिद पड़ गया......यह एक छोटी सी मस्जिद है.....एक तरफ नमाज़ अदा करने के लिए एक छूता सा कमरा बना है तो वहीँ दूसरी ओर चार दरवेश को जगह मिली हुई है.......एक छोटा सा ही आँगन जहाँ किनारे में लगा अनार का पेड़ पूरी मस्जिद को अपने साये तले लिए हुए है.....इस मस्जिद के साथ जुडी हुई एक ख़ास बात यह है की इस पूरी मस्जिद की देखभाल एक हिन्दू के हाथ में है....लम्बी दाढी और लम्बे लम्बे बाल वाले बेचन बाबा....यही नाम है उस शख्स का जो इस मस्जिद की देखरेख करता है....बेचन बाबा यहाँ झाडू लगाने से लेकर नमाज़ अदा करने तक की हर जिम्मेदारी को उठातें हैं.......बेचन बाबा इस काम को पिछली चार पीढियों से कर रहें हैं.......बाबा पूरी अकीदत के साथ इस मस्जिद की देखरेख करतें हैं........इस बात की परवाह न करते हुए की एक मस्जिद की हिफाज़त एक हिन्दू के हाथ में है यहाँ के मुस्लिम भी बेचन बाबा को पूरा सम्मान देते हैं........एक बात और बताता हूँ....बाबा के घर में हिन्दू देवी देवतावों की पूजा होती है.....पत्नी माता शीतला की पूजा करती है तो बेटा भगवान् शिव का भक्त है...लेकिन बाबा मस्जिद की चाहरदीवारी पर मत्था टेकते हैं....इस मस्जिद में उर्स मनाया जाता है, १५ अगस्त और २६ जनवरी भी....यह मस्जिद जिस गली में है वोह बनारस की आम तंग गलियों की ही तरह है...यहाँ हर तरफ कई दुकाने हैं......इन दुकानों के मालिक और वहां काम करने वाले कई लोग ऐसें हैं जिनकी दिनचर्या इस मस्जिद में आये बगैर शुरू ही नहीं होती...इनमे से अधिकतर हिन्दू ही हैं क्यों की आसपास मुस्लिम आबादी नहीं है...इसी मस्जिद के ठीक बगल में गोपाल मंदिर है...कई हिन्दू ऐसे हैं जो मंदिर और मस्जिद में एक साथ दर्शन करते हैं.......दुआ मांगते हैं....
कई सौ सालों से इस गली में कड़ी यह मस्जिद वाकई में अपने आप में अनोखी है...यहाँ जात पात की तो मानो कोई लकीर ही नहीं है.....शुक्र है ऊपर वाले का इस मस्जिद पर देश की किसी नेता की नज़र नहीं पड़ी.........
कई सौ सालों से इस गली में कड़ी यह मस्जिद वाकई में अपने आप में अनोखी है...यहाँ जात पात की तो मानो कोई लकीर ही नहीं है.....शुक्र है ऊपर वाले का इस मस्जिद पर देश की किसी नेता की नज़र नहीं पड़ी.........
bahut hi janakaripoorn achcha laekh. dhnayawad.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर जानकारी. हमें तो इसका पता ही नहीं था. क्या वहां मुसलमान नमाज पढने आते हैं?
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी है।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती