पूरा एक साल बीत गया....क्या नया पाया यह तो नहीं बता सकता लेकिन हाँ इतना ज़रूर है कि खोया बहुत कुछ...भले खोने वाली चीज़ों कि संख्या कम हो लेकिन दर्द बहुत है...और जो चीजें पाई उनकी तुलना में यह अधिक मायने रखती है.....यही ज़िन्दगी है इसे देखना हो तो नज़रिया सड़क पर चलते लोगों को गिनने के नजरिये से अलग रखना पड़ता है.....खैर छोडिये ....देश के सबसे पहले भोजपुरी न्यूज़ चैनल हमार टीवी में काम करते हुए एक साल से अधिक हो गएँ हैं....जिस भाषा को रोज बोलता था.... सुनता था उसे खबर के नजरिये से देख रहा हूँ....रोज़ कुछ नया सिखा...लेकिन ना जाने क्यों साल के अंत में लगता है कि साल बस यू ही गुज़र गया......डे प्लान, फ़ील्ड रिपोर्ट, लाइव, एंकर यही रहा.....अपने लिए सोचने क मानो वक़्त ही नहीं मिला....सुबह सात बजे से लेकर रात कि दस बजे तक बस बाईट और पैकज में समय गुज़र गया और इस सब के बाद भी यही दर मन में रहा कि कहीं मंदी के दौर में मिली नौकरी चली ना जाये......इस बात क भी गिला कम ही रहा कि आप जिन लोगों से काम और योग्यता में कम नहीं हैं लेकिन सेलेरी में कम हैं.....यही एक नौकरी पेशा आदमी कि आदर्श ज़िन्दगी है.....लेकिन अब क्या किया जा सकता है..नया साल दस्तक दे रहा है...नए सपने खुद बखुद ना जाने कहाँ से आँखों में आ गए....ना चाहते हुए भी एक बार फिर उसी डे प्लान और पॅकेज कि चिंता होने लगी है....पता नहीं इन सपनो क भविष्य क्या होगा लेकिन सपने तो सपने हैं एक मासूम सी हंसी कि मानिंद यह तो आँखों में आ जाते हैं इन्हें नहीं पता कि इनके आने के बाद आँखों में अश्क आयेंगे या नहीं...शायद यही है नया साल....चलिए आइये मनाया जाये......
एक ख्वाब
बस यूं ही
आँखों में उतर आता है
कुछ नमी कुछ हंसी ले आता है
पल भर में बदल जाती है
तस्वीर इस दिल कि
लेकिन टूटे तो
हर शख्स
वहीँ बेगाना सा नज़र आता है.....
एक ख्वाब
बस यूं ही
आँखों में उतर आता है
कुछ नमी कुछ हंसी ले आता है
पल भर में बदल जाती है
तस्वीर इस दिल कि
लेकिन टूटे तो
हर शख्स
वहीँ बेगाना सा नज़र आता है.....
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