मैं आज भी खुद कि तलाश में रहा
मेरा अक्श कभी किसी
टहनी से टूटी मुरझाई पत्ती तो
कभी किसी खिलखिलाते पलाश में रहा
ले गए वोह मेरा नाम, मेरा सामान
मुझसे जुडी हर चीज़ कि शुरुआत
हर अंजाम
पर मैं पास मेरे एहसास में रहा
ना जाने कितने मंदिरों,
कितनी मस्जिदों में कच्चे धागे
बाँध डाले
अब जाना कि मेरा खुदा
हर बार मेरे पास में रहा
इल्ज़ाम मत देना कि मैं नहीं आया
एक धूप का गुजरना
इस साए के साथ में रहा .....
मेरा अक्श कभी किसी
टहनी से टूटी मुरझाई पत्ती तो
कभी किसी खिलखिलाते पलाश में रहा
ले गए वोह मेरा नाम, मेरा सामान
मुझसे जुडी हर चीज़ कि शुरुआत
हर अंजाम
पर मैं पास मेरे एहसास में रहा
ना जाने कितने मंदिरों,
कितनी मस्जिदों में कच्चे धागे
बाँध डाले
अब जाना कि मेरा खुदा
हर बार मेरे पास में रहा
इल्ज़ाम मत देना कि मैं नहीं आया
एक धूप का गुजरना
इस साए के साथ में रहा .....
हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
जवाब देंहटाएंलेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
very nice...congrats...
जवाब देंहटाएंvery nice...congrats
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