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तपती दोपहर में एक सुनसान सड़क पर बीते दौर के हो चुके लम्ब्रेटा स्कूटर को फर्राटा मारते देखना मेरे लिए एक सुखद अनुभव कि तरह था.....हालाँकि मुझे इस सड़क पर रुकना नहीं था लेकिन इस बेपरवाह गर्मी और एक मोबाइल कॉल कि मेहरबानियों के कारण मैंने एक सड़क पर लगे एक बैनर कि छांव ले ली थी...तभी मुझे यह लम्ब्रेटा स्कूटर दिखाई पड़ा....इस स्कूटर को लेकर किसी भी तकनीकि पहलु पर अब बात करना शायद बेमानी होगी....आजकल तो दो पहिया गाड़ी का कलर मेटेलिक होता है लेकिन इस लम्ब्रेटा का रंग कुछ यूं था मानो गलती से इसपर रंग गिर गया हो और फिर उससे ब्रश से फैला दिया गया हो....नए ज़माने की गाड़ियों कि तरह यह लम्ब्रेटा सन्नाटे से नहीं गुजरता...इसके आने कि एक अपनी आवाज है...जो इसको जानने वालों को दूर से ही बता देती है कि लम्ब्रेटा आ रहा है....हालाँकि अब यह आवाज़ कम ही सुनाई देती है...लेकिन मेरे जैसे इंसान को किसी मधुर संगीत से कम सुखद अनुभव नहीं कराती.....जहाँ आज गाड़ियों को अन्दर से लेकर बाहर तक सँवारने के लिए विशेषज्ञ लगे रहते हैं ऐसे में यह स्कूटर कितनी सादगी से हर बात कह देता है... एक पारंपरिक हो चला डिजाइन, आज के परिपेक्ष्य में दबा सा रंग, आवाज़ करता इंजन...बस और क्या यही तो है एक लम्ब्रेटा कि दास्तान.....
इसको चलाने वाले हाथों कि भी दाद देनी पड़ेगी...इस दौर में भी उस शख्स ने इस स्कूटर को कितना संभाल कर रखा है...मानो उनके घर का कोई सदस्य हो...आजकल तो लोग घर के बूढ़े बुजुर्गों को भी इस तरह एहतियात से नहीं रखते...सोचते हैं जितनी जल्दी निकल ले उतना अच्छा..लेकिन यह लम्ब्रेटा आज भी चलने वाले के घर में शान से रहता होगा...उसकी कंडीशन देखकर इसका अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता था.....चलते लम्ब्रेटा पर बैठे उस बुजुर्ग को देखकर लग रहा था कि आखिर कितना गौरवान्वित महसूस कर रहा था वोह इसको चलाते समय.....धीमे लेकिन सधी हुयी चाल....शायद आपको मालूम ना हो लेकिन एक दौर था जब लम्ब्रेटा स्कूटर समाज में आपका रुतबा कायम करता था.....इस स्कूटर को खरीदने के लिए आर्डर देना पड़ता था....जल्दी नंबर आ जाये इसके लिए बड़े बड़े लोगों के सोर्स लगा करते थे....और जब यह स्कूटर घर आता तो अगल बगल के मोहल्लों में चर्चा होती थी कि फलां व्यक्ति ने तो लम्ब्रेटा लिया है..... सोचिये कितना जुड़ाव होगा ऐसी गाड़ी से...कितनी भावनाएं जुडी होंगी इस लम्ब्रेटा से....इस लम्ब्रेटा ने जीवन के कितने मोड़ों पर एक पूरे परिवार का साथ दिया होगा....कितने सुख दुःख साथ जिए होंगे इस परिवार और लम्ब्रेटा ने....यही वज़ह होगी कि यह लम्ब्रेटा आज बूढा ज़रूर हो गया है लेकिन निष्प्रयोज्य नहीं......इस लम्ब्रेटा को चलाने वाले हाथ जानते हैं कि बुढ़ापा निरर्थक होने का सबूत नहीं है...
नयी पीढ़ी के लिए एक पूरा दर्शन इस स्कूटर के रूप में जा रहा हैं...लेकिन तपती दोपहर में सुनसान सड़क पर इस कहानी को पढने वाला कोई नहीं है....180 सी सी कि बाईक पर सवार गुजरते कुछ चुनिन्दा युवा तो इसपर एक नज़र भी नहीं डाल रहें हैं......यही अंतर है इस लम्ब्रेटा की धीमी चाल और नए ज़माने कि गाड़ियों में......
याद आ गया मुझको गुजर जमाना :) :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया पोस्ट...ये ही हाल अब बजाज चेतक का हो गया है.."
जवाब देंहटाएंoyeoye lucky lucky oye mein pahli baar dekha tha lambreta scooter maharaj .badia likha hai aapne
जवाब देंहटाएंसब काल और चाल की चलाचली है। आजकल तो गर्मी भी पड़ती चिलचिली है।
जवाब देंहटाएंलम्ब्रेटा का जमाना-गुजरा जमाना!
जवाब देंहटाएंलम्ब्रेटा का जमाना ही कुछ और था फिर विजय सुपर फिर ---
जवाब देंहटाएंसुन्दर आलेख्