मैं जब इस पोस्ट को लिख रहा हूँ उसके कुछ ही देर बाद दुनिया की सबसे पुरानी जीवंत नगरी काशी में विश्व की पवित्रम नदियों में से एक 'गंगा' की दुर्दशा पर चिंतन करने के लिए देश के धर्माचार्य, नदी वैज्ञानिक, पर्यावरणविद और बुद्धजीवी एक साथ बैठेंगे....गंगा के इर्द गिर्द रहने वाली करोड़ों लोगों की आबादी से लेकर सनातन संस्कृति में आस्था रखने वाले भी इस तरह की बैठकों से बड़ी उम्मीदें लगा कर रखते हैं....लेकिन यह उम्मीदें कितनी साकार होती हैं यह तो उन्हें पता ही है....
दरअसल गंगा को लेकर किये जा रहे सरकारी प्रयासों का सच यह है की गंगा का जल अब आचमन योग्य भी नहीं बचा है....यह एक हालिया शोध से स्पष्ट हो चुका है... गंगा के किनारे कई छोटे बड़े शहर बसे हुए हैं जिनके जल मल को माँ का दर्जा रखे वाली गंगा रोज अपने आँचल में रख रही है....
अब तक गंगा को साफ़ करने के लिए केंद्र सरकार एक हज़ार करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च कर चुकी है...यह कैग की रिपोर्ट है....गंगा के लिए ही देश की सबसे महंगी कार्ययोजना गंगा एक्शन प्लान(गैप) को हरी झंडी दी गयी थी...गंगा एक्शन प्लान दो चरणों में चला था..... पहला चरण पूरा हो चुका है और दूसरा चरण अभी भी चल रहा है.....गैप के प्रथम चरण में गंगा को साफ़ करने के लिए दो सौ इकसठ स्कीम्स चलायी गयी थी..इनमे से दो सौ उनसठ को पूरा माना गया....वहीँ गैप के दूसरे चरण में कुल चार सौ पंचानबे योजनायें चलायी जा रहीं और इन कार्य योजनायों की लागत बाईस सौ करोड़ रूपये होने की उम्मीद है....सरकारी आंकड़ों की माने तो इनमे से ज्यादातर पूरी हो चुकी है....यानी सरकारी तंत्र अपने हिसाब से गंगा को साफ़ कर चुका है...लेकिन सच्चाई क्या है यह भला कैसे सरकारी फाईल्स में समा सकती थी....गंगा की दशा दिन पर दिन बिगडती ही गयी...जनता का जबरदस्त दबाव बना तो सरकार ने एक बार फिर से उछलकूद शुरू की...प्रधानमन्त्री ने गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा दे दिया और और एक नए प्राधिकरण का गठन भी कर दिया जो गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए फिर से नयी योजनायें तैयार करेगा...लेकिन आपको शायद यह नहीं पता होगा की उच्च स्तरीय यह प्राधिकरण गंगा नदी के ऊपर चल रही किसी भी गतिविधि को क्लीरेंस देने के लिए सेपरेट मैकेनिज्म नहीं होगा...यानि कुछ आसान शब्दों में कहें तो गंगा के ऊपर चल रही किसी कार्य योजना को गंगा की सेहत के हिसाब से खराब मानते हुए भी यह प्राधिकरण तत्काल कोई कदम नहीं उठा सकता....तो इस पेंच के बाद आप समझ सकते है कि सरकार गंगा की सफाई को लेकर कितनी चिंतित है.....
लगभग पच्चीस साल पहले स्वर्गीय श्री राजीव गांधी ने गंगा को साफ़ और प्रदूषण मुक्त करने कि जो पहल की थी उसे तो इस देश के नौकरशाह मिलजुल कर खा गए....वर्तमान प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने एक बार फिर सरकारी तंत्र को खाने पीने का इंतज़ाम कर दिया है....राष्ट्रीय नदी गंगा को प्रदुषण मुक्त करने के लिए एक बार फिर से करोड़ों रूपये का बजट बनाया गया है....
इस सब के बाद साथ ही साथ आपको यह भी बता दे कि मैदानी इलाकों में पहुँचने के बाद गंगा का जल कहीं भी स्नान योग्य नहीं बचा है...चूँकि बात शुरू हुयी थी वाराणसी से लिहाजा वाराणसी में ही गंगा की स्तिथी से खत्म भी होनी चाहिए....
वाराणसी में रोजाना लगभग पच्चीस करोड़ लीटर सीवेज वाटर निकलता है ...सरकार वाराणसी में गंगा एक्शन प्लान के दो चरणों और पच्चीस सालों की लम्बी अवधि के बाद महज दस करोड़ लीटर सीवेज वाटर को ट्रीट करने की व्यवस्था कर पायी है ...यानि पंद्रह करोड़ लीटर सीवेज वाटर सीधे गंगा में सरकारी रूप से गिरा दिया जाता है....अब लगे हाथ एक और सचाई भी सुन लीजिये...आपको लग रहा होगा कि चलो कम से कम दस करोड़ लीटर सीवेज तो ट्रीट किया जा रहा है तो आपको बता दें कि वाराणसी में बने ट्रीटमेंट प्लांट्स बिजली ना रहने पर बेकार होते है ...और वाराणसी में विद्युत व्यवस्था का क्या हाल ह यह आपको पता ही होगा ...यानी कुल मिलाकर वाराणसी में बारह से अट्ठारह घंटे ही ट्रीटमेंट प्लांट्स चल सकते हैं...बाकी समय सीवेज सीधे गंगा में बहा दिया जाता है......अब इतनी बातों से आप खुद ही समझ सकते है गंगा को लेकर किये जा रहे सरकारी प्रयास कितने कारगर हैं....ऐसे में बुजुर्गों कि एक बात ज़रूर याद करनी चाहिए कि बहता पानी कभी मृत नहीं होता लेकिन जब किसी नदी को बाँध दिया जाये तो उसका पानी मार जाता है...आज गंगा के अविरल प्रवाह को यदि बरकरार रखा जाये तो शायद हालत इतने ना बिगड़े......वाराणसी में हो रही गंगा चिंतन बैठक में शामिल होने वाले महानुभाव हों या फिर आम जनता यदि इससे कम पर राजी हुए तो गंगा को कुछ वर्षो में भूलने के लिए तैयार हो जाइये.....
अब तो एक ही आन्दोलन की आवश्यकता है, सत्ता में बैठे भ्रष्ट और कुकर्मी लोगों को साफ करने का निर्णायक आन्दोलन, इससे गंगा भी साफ हो जाएगी /
जवाब देंहटाएंsamjh me nhi aata jis uttr pardesh ko dhrm ki nagri kha jaataa hai vhi par gangaa sabse adhik maili kyo hoti hai
जवाब देंहटाएंसर हम गंगा साफ करेने की बात करते है पर क्या उसे और गन्दा न करने की बात करते है? सर नेताओं के भरोसे गंगा साफ करने के इन्तजार करने से बढ़िया है की गंगा जितनी साफ बची है उसे उतना तो रखा जाये उससे ज्यादा नरक में न डाले. सर please आप मीडिया के लोग गंगा में बन रहे डाम, हरिद्वार के उद्योगों का गन्दा रसायन और गंगा में साबुन इस्तेमाल पर पर्थीबंध लगाने के लिए कोई जागरूकता अभियान चला सकते है. सर कृपा कर के ऐंसा कोई अभियान हो तो बताइयेगा हम भी साथ देंगे.
जवाब देंहटाएंसर हम गंगा साफ करेने की बात करते है पर क्या उसे और गन्दा न करने की बात करते है? सर नेताओं के भरोसे गंगा साफ करने के इन्तजार करने से बढ़िया है की गंगा जितनी साफ बची है उसे उतना तो रखा जाये उससे ज्यादा नरक में न डाले. सर please आप मीडिया के लोग गंगा में बन रहे डाम, हरिद्वार के उद्योगों का गन्दा रसायन और गंगा में साबुन इस्तेमाल पर पर्थीबंध लगाने के लिए कोई जागरूकता अभियान चला सकते है. सर कृपा कर के ऐंसा कोई अभियान हो तो बताइयेगा हम भी साथ देंगे.
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