
आपको ये शीर्षक कुछ अजीब लग सकता है. आखिर लगे भी क्यों ना, साल में महज दो बार आपको याद आता है कि आज आप स्वतंत्र हैं, आज़ाद मुल्क में रहते हैं और इस आज़ादी को पाने के लिए कुछ लोगों ने कुर्बानी दी थी........१५ अगस्त और २६ जनवरी ना आये तो आप को याद ही ना आये कि आज आप जिस खुली हवा में सांस ले रहें हैं उसके लिए कईयों कि साँसे बंद कर दी गयीं हैं. वैसे आप भी अपना फ़र्ज़ अदा करते हैं इसमें कोई दो राय नहीं.....साल में एक एक बार आने वाली इन दो तारीखों पर आप फिल्मी गीत बजाते हैं....बच्चों का शौक पूरा करने के लिए २ रूपये में तीन रंगों में रंगा हुआ कागज का एक टुकड़ा खरीदते हैं.....कई दिनों बाद अपने कुछ ख़ास रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं, थोड़ी देर आराम करते हैं, शाम को किसी बड़े से मॉल में शॉपिंग करते हैं, बाहर खाना खाते हैं और घर आकर सो जाते हैं. अब भला इससे बेहतर दिनचर्या क्या हो सकती है? अब ऐसे में कोई आपको याद दिलाये कि आज पंद्रह अगस्त है तो आप उसपर नाराज़ तो होंगे ही. अब वो आपका सामान्य ज्ञान जांच रहा है...ऐसे हालात फिलवक्त हर युवा भारतीय के हैं...उन्हें पूरे साल याद नहीं रहता कि वो एक ऐसे मुल्क में रहते हैं जिसने बाद मिन्नतों के आज़ादी पाई वो भी ऐसी जो उन्हें कुछ भी करने कि छूट देती है...हुज़ूर इस आज़ादी को तो हम सीने से लगा कर रखते हैं....लेकिन बस साल में एक दो दिन....वैसे आप को लगता है की आज हमारे देश का युवा कहीं से भी देश के साथ जुदा हुआ है...मैं अपनी बात नहीं कहूँगा वरना आप कहेंगे कि मैं अपनी बात थोप रहा हूँ.... लेकिन साल भर 'पे पैकज' और इलेक्ट्रोनिक गजेट पर समय देना वाला युवा आज़ादी मुल्क कि खुली हवा में फैली एक अजीब सी कशिश का एहसास नहीं कर पा रहा है....आज हम सब अपना अपना सपना बुनते हैं और उसे पूरा करने के लिए दिन रात लगे रहते हैं लेकिन 'freedom at midnight' को अपनी आँखों से देखने वाली पीढी के सपने पूरे हुए या नहीं इसकी फिक्र कौन करता है....
फेसबुक पर उधार का चेहरा ओढ़े और ट्विट्टर पर ट्विटीयाती पीढी के लिए आज़ादी के मायने बदल चुके हैं...... आज आज़ादी का मतलब नितांत व्यक्तिगत हो चला है....खुद का घर हर सुख सुविधा से संपन्न हो यही है हमारी आज़ाद खयाली ...
भारत जैसे देश के लिए आज़ादी सही अर्थों में क्या है इसका भान हमें तभी होता है जब इंडियन क्रिकेट टीम पाकिस्तान के साथ मैच खेलती है या फिर पाक से लगी हमारी सरहद पर तनाव बढ़ जाता है...तब हमें एहसास होता कि हम आज़ाद हैं और कोई हमारी आजादी पर खतरा बन रहा है...तब कहीं जाकर हमारी आँखों के सामने से वो मंजर गुजरते हैं जो हमें याद दिलाते हैं कि ज़मी के इस टुकड़े के साथ कितने जज़्बात अपनी हिस्सेदारी रखते हैं...क्या होती है वो सौगात जिसे हम आजादी कहते हैं....हमें शुक्रिया करना चाहिए इस पाकिस्तान का जो रह रह कर हमें १५ अगस्त और २६ जनवरी के अलावा भी आज़ाद होने का मतलब बताता तो फिर क्यों ना बोले हम पाकिस्तान जिंदाबाद....
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