एक सुबह जीमेल और ऑरकुट पर लोगिन करते ही फ्रेंड लिस्ट में जुड़े उदय गुप्ता जी ने मुझसे मेरा फ़ोन नंबर पूछा, मैंने दे दिया. इसके थोड़ी देर बाद मुझे लखनऊ से एक फ़ोन आया. इस फ़ोन पर मुझसे कहा गया कि आपके पास थोड़ी देर में देहरादून से फ़ोन आएगा. इतनी देर में मेरे मन में कौतूहल आ चुका था. दो लगभग अनजान फ़ोन और तीसरे का इंतज़ार. हालाँकि ये इंतज़ार लम्बा नहीं चल सका और जल्द ही एक फ़ोन और आया. फ़ोन पर शशि भूषण मैथानी जी थे देहरादून से. कुछ देर कि बातचीत के बाद मुझे पता चल गया कि शशि कि मुझसे उम्र में बड़े और अनुभव में सम्पन्न हैं. शशि जी के हाथ मेरा एक लेख लगा था. शशि जी उसे अपनी पत्रिका' यूथ आईकॉन' में प्रकाशित करना चाहते थे. इसीलिए उन्होंने कई माध्यमों से होते हुए मेरा फ़ोन नंबर प्राप्त किया था. शशि जी युवाओं को ध्यान में रखकर एक पत्रिका का प्रकाशन करते हैं लिहाजा सोच भी युवा थी. मन में कुछ करने की ख्वाहिश और अन्याय के प्रति बागी तेवर. शशि जी के साथ मेरी बातचीत बहुत लम्बी नहीं थी लेकिन इस अल्प अवधि की बातचीत के दौरान मुझे इस बात का एहसास हुआ कि मैं आज भी युवा हूँ. किसी मुद्दे पर मेरे विचारों को कोई तो अपना मानेगा. यकीन मानिये इस देश में ऐसे लोगों कि संख्या बहुत है जिनकी उम्र १५ से लेकर ३५ के बीच होगी. लिखा पढ़त में इस उम्र के लोगों को युवा कहते हैं लेकिन विचारों में ये युवा हो ज़रूरी नहीं है. देश और समाज के प्रति कुछ कर गुजरने का जज्बा इनमे मिल पाना मुश्किल है. अच्छी पढ़ाई, अच्छा सेलरी पॅकेज, बढ़िया लाइफ स्टाईल यही सब इस उम्र के लोगों का शौक होता है. यकीनन हमारा देश तरक्की कर रहा है. देश में नए एअरपोर्ट बन रहे हैं, नयी और चौड़ी सड़कें बन रही हैं. कंक्रीट के नए पहाड़ बन रहे हैं. लेकिन कोई मुझे बताये कि क्या देश कि तरक्की इन्ही सब चीजों से होती है. देश में सड़ता अनाज और भूख से बिलबिलाते लोग. मूल्यविहीन राजनीती और दिग्भ्रमित प्रजा. क्या यही है हमारी तरक्की?
शशि जी उधर से बोले जा रहे थे. मै सुन रहा था. बहुत दिनों के बाद एक युवा से मुलाकात हुई थी. जो अच्छी और आराम कि नौकरी की बात नहीं बल्कि कोशिश कर रहा था अपने को युवा बनाये रखने का. साथ ही अपने जैसे और लोगों को इस बात का एहसास दिलाने का कि वो भी युवा हैं. शुक्रिया शशि जी इस बात को याद दिलाना के लिए हम आज भी युवा हैं. शायद ये देश इन युवों की बदौलत ही सही मायनों में जवाँ हो पाए..
शशि जी उधर से बोले जा रहे थे. मै सुन रहा था. बहुत दिनों के बाद एक युवा से मुलाकात हुई थी. जो अच्छी और आराम कि नौकरी की बात नहीं बल्कि कोशिश कर रहा था अपने को युवा बनाये रखने का. साथ ही अपने जैसे और लोगों को इस बात का एहसास दिलाने का कि वो भी युवा हैं. शुक्रिया शशि जी इस बात को याद दिलाना के लिए हम आज भी युवा हैं. शायद ये देश इन युवों की बदौलत ही सही मायनों में जवाँ हो पाए..
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