मोहाली में भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच होने वाला है. भारत के प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह इस मैच का लुत्फ़ उठाने जायेंगे. उन्होंने पाकिस्तान के प्रधान मंत्री युसूफ राजा गिलानी को भी न्योता भेजा और गिलानी ने मंजूर भी कर लिया. अब दो-दो प्रधानमन्त्री इस मैच का आनंद उठाएंगे. वो भी जानते हैं कि यह मैच महज एक मैच नहीं है. यह जीने मरने का सवाल है. दोनों टीम्स के खिलाड़ी मैच को बैट और बॉल से ही नहीं हाथ और पैर से भी खेलते हैं. आमतौर पर भारत और पाकिस्तान के बीच का मैच बेहद रोमांचक ही होता है. पूरी दुनिया इसे देखती है. साँसे रोक देने वाला मैच होता है. हालांकि यह सब बातें आप सभी को पहले से पता हैं. इसमें कोई नयी बात नहीं है.
इस बार मेरे दिमाग में एक आईडिया है. फिफ्टी-फिफ्टी का.मौका होली का है और हम होली में दुश्मनों को भी गले लगा लेते हैं. चैती गुलाब की खुशबू माहौल को गमका रही है. हम अमन की बात तो हमेशा से करते आयें हैं लिहाजा मौका भी है और दस्तूर भी. आ गले लग जा. देखो मैच तो हर बार होता है. इस बार अगर कुछ ख़ास हो जाये तो दुनिया देखे. वैसे फिफ्टी-फिफ्टी के कांसेप्ट में नुकसान भारत का ही है लेकिन फायदा इंसानियत का है. सन ४७ से खून बह रहा है. तुम गोलियां चलाते हो हम बचाव करते हैं. तुम कश्मीर कश्मीर चिल्लाते हो हम शांति की दुहाई देते हैं. तुम ड्रैगन की पूँछ पकड़ कर दिल्ली के ताज पर बैठने का ख्वाब देखते हो. हम विकास की सीढियां चढ़ ड्रैगन से भी ऊँचा होने की कोशिश में लगे हैं. हमारे देश के लोग बर्फ से ढंकी वादियाँ देखने कश्मीर जातें हैं तो तुम अपने दहशतगर्दो को ठण्ड के मौसम में पहाड़ों की बीच छुपने के लिए भेजते हो. हम बस चलाते हैं दो मुल्कों के लोगों के दिलों को जोड़ने के लिए तो तुम कारगिल में मिर्ची बम छोड़ने लगते हो. हम ट्रेन चलाते हैं 'वीर ज़ारा' के लिए तो तुम 'ब्लैक फ्राईडे' दिखाते हो. फिर भी मेरे यार गिलानी कोई बात नहीं.
जब तुम्हारा मुल्क आज़ाद हुआ तो तुम्हारे पास न तो खाने के लिए अनाज था और न ही सिर छुपाने के लिए मकान. हमने तुम्हे वो सब दिया जो एक मुकम्मल मुल्क को चाहिए. यह बात और है कि तुमने हमारी कई बस्तियों में वाशिंदों को बेघर किया लेकिन हमने हर बार तुम्हे माफ़ किया. मुंबई में तुमने दहशतगर्दी का मेगा एपिसोड खेला. लेकिन हमने तुम्हारे हर प्रायोजक की दूकान बंद करा दी. लीड रोल करने वाला एक कलाकार हमारा मेहमान है. अब बतावो गिलानी और क्या चाहिए.
बात क्रिकेट की करो तो वहां भी तुम कुछ ख़ास नहीं कर पाए हो. हाँ यह ज़रूर है कि शारजहाँ के मैदानों में बेईमानी कर के तुमने कई मैच जीत लिए और अपना रिकॉर्ड अच्छा कर लिया. लेकिन वर्ल्ड कप में हमने हर बार तुम्हे पटखनी दी है. इस बार हम तुम्हे हर गिला शिकवा भुला कर यह ऑफर दे रहें हैं. हम और तुम अगर मैच को फिफ्टी फिफ्टी बाँट ले तो? देखना दुनिया में फिर न कोई ड्रैगन रह जायेगा और न ही कोई दरोगा. सोच लो गिलानी. बात तुम्हारे फाएदे की है.
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