देश के प्रति मेरी ईमानदारी पर सवाल खड़ा कर दिया गया है। मुझे बता दिया गया है कि मैं एक देशद्रोही हूं। क्योंकि मैं अन्ना का वैसा साथ नहीं दे रहा हूं जैसा और लोग चाहते हैं। क्योंकि मैं अन्ना के समर्थन में अनशन पर नहीं बैठ रहा हूं। धिक्कार है मुझपर। मुझे फांसी दे दी जायेगी। हम जैसे लोग परिवर्तन नहीं ला सकते। एक बुजुर्ग देश के भ्रष्टतंत्र के खिलाफ आवाज उठा रहा है और मरने के लिए तैयार है। लेकिन मैं एक युवा होकर भी घर में बैठा हूं। ऐसे शख्स को देश में रहने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसे आदमी को देश निकाला दे देना चाहिए। हो सके तो पाकिस्तान भेज देना चाहिए।
यकीन नहीं होता ये वही देश है जहां गांधी हुआ करते थे।
मुझे भी लगता है कि मैं बेकार हो गया हूं। अब मैं बदलाव लाने के लिए खुद से प्रयास कर रहा हूं। मैंने तय किया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने स्तर से जंग लड़ूंगा। अब कभी यातायात नियमों का उल्लंघन नहीं करूंगा। अगर कभी गलती हो गई तो तो पूरा फाइन भरूंगा। कभी हरी पत्तियां देकर अपनी गर्दन नहीं बचा लूंगा। किसी सरकारी ऑफिस में किसी कर्मचारी की मुठ्ठी नहीं गर्म नहीं करूंगा। अगर कभी किसी ने शार्टकट का रास्ता बताया और कुछ ले-देकर काम कराने का भरोसा दिलाया तो इसके खिलाफ पुरजोर आवाज बुलंद करूंगा।
लोग रामलीला मैदान में तिरंगा लेकर खड़े हैं। देशभक्त हैं। कहते हैं कि भ्रष्टाचार की नाली उपर से नीचे बहती है। अगर ऑफिसर्स सुधर जाएं तो जनता को कोई समस्या नहीं होगी। जनता कब चाहती है कि घूस देकर काम करवाये। अफसर मांगते हैं इसलिए देते हैं। लेकिन यह कह कर हम अपने प्रदर्शन की खिल्ली उड़ायेंगे। जनता को सूचना का अधिकार मिला है। कितना प्रयोग होता है इसका? आम जनता आज भी इस अधिकार का उपयोग करने से कतराती है। उसको सिर्फ अपने काम से मतलब है। उसका काम होना चाहिए कीमत चाहें जो हो। अपने अधिकारों का प्रयोग हमारा फर्ज है। जब तक हम उसे अंजाम नहीं देंगे कहना मुश्किल है कि देश में बदलाव आ पायेगा।
एक और बात जो चलते-चलते दिमाग में आ गई। ये उसी गांधी से जुड़ी है जिसकी तलाश आज पूरे देश में हो रही है। उसी गांधी ने कहा था कि यदि हम सभी लोग अधिकारों की मांग करें और कर्तव्यों की ओर से विमुख हो जाएं तो ऐसी स्थिती में सम्पूर्ण भ्रम और अव्यवस्था पैदा हो जायेगी। यदि अधिकारों की मांग न करके प्रत्येक व्यक्ति अपना कर्तव्य पूरा करे तो तुरन्त ही समाज में सुव्यवस्था स्वयं स्थापित हो जाएगी।
ये मैंने नहीं गांधी ने कहा था।
guru bahut sahi.....lakin iska agla sereise bhi likho... Raghawendra Mishra
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