कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनसे आप ताजिंदगी नहीं मिलते हैं लेकिन वो लोग आपकी रोजाना की जिंदगी का हिस्सा होते हैं। जगजीत सिंह भी ऐसे ही थे। किसी नाजुक सी शायरी को जब वो अपने सुरीले गले से गाते थे तो लफ्ज मानों जिंदा हो उठते थे। आपकी जिंदगी में किसी बेजान से शब्द का कोई खास मोल नहीं होता लेकिन जब शब्द जगजीत सिंह के गले से निकल रहे हों तो एक-एक लाइन आपको जिंदगी का सच बताने लगती है। गजलें आमतौर पर इश्क का फलसफां बताती हैं। दिल कच्चा होता है और जब मोहब्बत की मझधार में उतरता है तो जगजीत सिंह की गजलें हर उतार-चढ़ाव में आपके साथ खड़ी नजर आती हैं। प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है, नये परिंदों को उड़ने में वक्त तो लगता है। यह लाइनें किसी ऐसे जोड़े के लिए बेहद मायने रखती हैं जिसने प्यार की दुनिया में पहला कदम रखा हो। जगजीत सिंह की गाई यह गजल आज भी जेहन में इतनी खलिस के साथ कौंधती है मानों कल ही सुनी हो। जगजीत सिंह की गजलों में किसी तेज झरने के करीब खड़े होने पर मिलनी वाली ताजगी का एहसास होता है। कुछ सालों पहले उन्होंने गाया था- इश्क कीजिए फिर समझिये। इन लाइनों को समझने के लिए आपके दिल में इश्क होना चाहिए। जगजीत सिंह को इश्क था गजलों से। उनकी गजलों में रवानगी थी वो भी सुकून भरी। प्रायः ऐसा नहीं मिलता। गजलें आपके साथ चलती हैं और आपको उनका साथ अच्छा लगता है। जगजीत सिंह के लिए निदा .फाजली ने लिखा हो या गुलजार साहब ने। वो सिर्फ जगजीत सिंह के लिए ही लिखा जा सकता था और उसे सिर्फ जगजीत सिंह ही गा सकते थे। डूब कर गाना किसे कहते हैं वो जगजीत सिंह ने बताया। मुझे याद है कि वो एक बार बनारस में एक लाइव प्रोग्राम कर रहे थे। खुले मैदान में हो रहे प्रोग्राम की आवाज खुले में काफी दूर तक जा रही थी। कई ऐसे लोग थे जो उस आवाज को भी सुन रहे थे और महसूस कर रहे थे। ऐसा सिर्फ जगजीत सिंह के साथ ही हो सकता था।
जब आप गमजदा होते हैं और जगजीत सिंह की गजल आपको छू कर निकलती है तो आप आंसुओं को थामने की कोशिश नहीं करते। लगता है मानों वो गजल आपके साथ है। आप खुल कर रो पाते हैं। यह हर गायक की गजल के साथ नहीं होता। जगजीत सिंह ने जिंदगी के गमों को झेला था। उन्होंने अपने इकलौते बेटे की मौत अपनी आंखों से देखी थी। उनका दर्द उनकी गजलों में झलकता था।
बेवफाई हो या तन्हाई, खुशी हो या गम। जगजीत सिंह की गजलें आपको अकेला नहीं छोड़तीं। मेरे जैसे कई युवा हैं जिनको गजल का मतलब जगजीत सिंह ने बताया। सुर के उतरने चढ़ने के साथ ही जगजीत सिंह के गले में होने वाले कंपन में आप फर्क महसूस कर सकते थे। आज मेरे जैसे करोड़ों गजल प्रेमी जगजीत सिंह के न होने का फर्क महसूस कर सकते हैं। जवानी की दहलीज से जिंदगी के प्रति जिस एहसास को जगजीत सिंह ने दिल में बसाया था वो आज भी कायम है और ताउम्र कायम रहेगा।
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