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वैसे सपा के अधिकतर नेताओं को लग रहा है कि यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार होने का मतलब है कि खुला राज। यहां कानून का राज कहने की कोई जरूरत नहीं है। आजम खां की भी स्थिती ऐसी ही होगी। आप समझ सकते हैं। उन दिनों को याद कीजिए जब लग रहा था कि आजम खां का राजनीतिक करियर लगभग खत्म सा हो गया है। ऐसे में आजम खां को भी नहीं आभास रहा होगा कि कभी सपा की सरकार इतने प्रचंड बहुमत से आएगी और आजम खां को भी इसमें पूरा रसूख मिल सकेगा। लेकिन आजम खां सियासत के माहिर खिलाड़ी हैं। वो उस मुस्लिम वर्ग की नुमांइदगी करते हैं जिसके बल पर सपा अपना बड़ा वोट बैंक खड़ा करती है। एम वाई समीकरण यानी मुस्लिम यादव समीकरण हमेशा से यूपी में निर्णायक भूमिका में रहा है। इस बात को मुलायम भी बखूबी समझते हैं। यही वजह है कि मुलायम ने आजम को खुली छूट दे रखी है। उन्हें आखिर मुस्लिमों को खुश भी रखना है। ऐसे में आजम खां थोड़ा अकड़ भी सकते हैं। लेकिन यूपी की अकड़ अमेरिका में निकालेंगे तो मामला उल्टा पड़ेगा ही। हावर्ड यूनिवर्सिटी ने जब कहा कि आपको क्राउड मैनेजमेंट का पाठ पढ़ाना है तो बड़ी जल्दी में तैयार हो लिए खां साहब। भला हो हावर्ड वालों का भी। इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुई दुर्घटना का पता उन्हें है ही नहीं। लोग मारे गए। कई घायल हो गए। लेकिन आजम साहब हैं कि क्राउड मैनेज कर के ही मानेंगे। इससे ये भी साबित होता है कि इलाहाबाद में हुई दुर्घटना यूपी सरकार के लिए मामूली की श्रेणी में आती है। खैर, छोडि़ए। आजम खां से सहानुभूति होने भी लगी थी। एकाएक उनका बयान आया कि मुस्लिम होने के नाते उन्हें एअरपोर्ट पर रोका गया। इसके बाद भी खां साहब से थोड़ी बहुत सहानुभूति बची थी। लेकिन तभी खां साहब ने एक और सनसनीखेज बयान दे डाला। सलमान खुर्शीद, जो इस वक्त देश का विदेश मंत्रालय देख रहे हैं, उन्हें खां साहब ने लपेट लिया। आजम खां साहब का आरोप है कि सलमान खुर्शीद की वजह से ही उन्हें एअरपोर्ट पर परेशान किया गया। अब भला ऐसा क्यों होगा? लेकिन खां साहब चाहते हैं कि दुनिया वो मान ले जो वो कह रहे हैं। अब खां साहब चाहते हैं कि हम सब ये मान लें कि कांग्रेस सरकार यूपी की सपा सरकार के मंत्रियों और दिग्गज नेताओं को परेशान कर रही है। चलिए मान लिया। लेकिन इतना मान लेने के बाद एक सवाल पूछने का अधिकार तो मिल ही जाता है। सवाल ये है कि इतना सब कुछ हुआ तो सपा ने कांग्रेस को बेसहारा क्यों नहीं छोड़ा? जवाब नहीं मिलेगा। हुजूर सब सियासत है। एक हाथ देना, दूसरे हाथ से लेना। मौका मिले तो गाल बजाना। समझ गए न।
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