नार्थ ब्लाक में चल रहा एक संवाद -
इतना हंगामा मचाने की क्या जरूरत है। आखिर ऐसा क्या हो गया। कोई तुफान आ गया? सुनामी आ गई? एक वोट से सरकार के गिरने का खतरा आ गया? सीबीआई ने अपनी क्लीन चिट वापस ले ली? नहीं न। तब इतना शोर क्यों मवा रहे हो। यार चीन ही तो है। भारत की सीमा में 19 किलोमीटर ही तो आए हैं। कोई दिल्ली तक तो नहीं आ गए न चीनी। अगर आ भी जाएं तो उनके साथ पहले फ्लैग मीटिंग करना। उनको समझाना। बातचीत करके उनको वापस जाने को कहना। न माने तो भी कोई बात नहीं। फिर मनाना। मान ही जाएंगे। तुम तो जानते हो कि चीन की आबादी लगातार बढ़ रही है। रहने की जगह नहीं। दिनचर्या के कई और काम हैं जिनके लिए खुली जगह कम पड़ गई होगी। आने दो, हम सहिष्णुता की मूरत हैं। और हां, उनके खाने पीने का पूरा ध्यान रखना। कोई परेशानी न होने पाए। आखिर पड़ोसी हैं हमारे।
संवाद खत्म।
कुछ ऐसे ही हालात लग रहे हैं। देश की सरकार का जो रवैया चीनी सैनिकों की घुसपैठ को लेकर रहा है। उससे देश का कोई भी नागरिक संतुष्ट नहीं हो सकता।
पहले खबर आई कि चीनी सैनिक देश की सरहद पार कर भारत में घुस आए हैं। जाहिर है कि देश की जनता को पता चलने से पहले मुल्क के प्रधानमंत्री को पता चला होगा। लेकिन प्रतिक्रिया देश के लोगों की पहले आई, पीएम साहब की बाद में। लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर यानी डीबीए में चीनी सेना ने बाकायदा अपने तम्बू तान लिए हैं। सरकार के पास इस रास्ते का एक ही हल नजर आया। वो था फ्लैग मीटिंग का। कोई समाधान नहीं निकला। दो बार की फ्लैग मीटिंग्स बेनतीजा रहीं। इसके बाद अब ये बताया जा रहा है कि ये सब चीनी सेना का सामान्य अभ्यास है। वाह साहब, वाह। यही हाल रहा तो चीनी सेना कल दिल्ली के रामलीला मैदान में भी तम्बू तान लेगी तो सरकार यही कहेगी कि ये सब चीनी सेना का सामान्य अभ्यास। आखिर सरकार जताना क्या चाहती है? क्या भारत इतना सक्षम भी नहीं रह गय कि वो अपनी ही सरहद में घुस आए दुश्मन को बाहर कर सके? डीबीए सेक्टर में न सिर्फ चीनी सैनिकों ने अपने तम्बू ताने हैं बल्कि चीनी सेना के हवाई जहाज भी इन इलाकों में उड़ान भर चुके हैं। जाहिर 15 अप्रैल को भारतीयों द्वारा चीनियों को देखे जाने के बाद और प्रतिरोध जताए जाने के बाद भी चीन नहीं मान रहा है। चीन ने इसके बाद कुछ और नए तम्बू तान लिए। अब चीन भारत पर इस बात के लिए दबाव डाल रहा है कि भारत सामरिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण सीमा चैकियों को हटा ले। आखिर भारत इतना लाचार कैसे हो सकता है? क्या हम कूटनीतिक रूप से दुनिया के आगे फेल हो चुके हैं। हमार विदेश नीति ने पिछले कुछ सालों में हमारे देश की क्या ऐसी छवि पेश कर दी है जो सहिष्णुता से आगे बढ़कर बेचारगी तक पहुंच गई है। अगर ऐसा नहीं है तो चीन की हिम्मत भारत की सीमा में घुसने और आंखे दिखाने की न होती। अगर हम मजबूत होते तो चीन अपनी बात रखने के लिए राजनयिक स्तर पर बातचीत करता। यूं हमारे ही घर में घुस कर हमें न धमकाता।
इतने के बाद पीएम साहब कहते हैं कि ये लद्दाख का स्थानीय मुद्दा है और इसे तूल देने की आवश्यकता नहीं है। धन्य, हमारे भाग्य विधाता।
लगे हाथ आपको इस देश से जुड़ा एक और पहलु याद दिलाता हूं। श्रीनगर में लाल चौक पर आप तिरंगा नहीं लहरा सकते, पाकिस्तान का झंडा भले लहरा जाए।
यही इस देश का मुस्तकबिल हो गया है।
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