इस देश के बहुत कम लोगों
को मालूम होगा कि इस देश का प्रधानमंत्री आसमान में भी तीन हेलिकॉप्टरों
के काफिले के साथ चलता है। यही प्रधानमंत्री इस काफिले में शामिल एक
हेलीकॉप्टर से उतरकर एक विशाल मंच पर आता है और गरीबों के लिए एक नई योजना
के शुरु होने की घोषणा करता है और फिर हेलीकॉप्टरों के काफिले के साथ उड़
जाता है।
इस देश में 2011 के आं कड़ो के मुताबिक
तकरीबन छह लाख से अधिक गांव हैं। इन गांवों में देश की 68 फीसदी के करीब
जनता रहती है। इन्हीं आंकड़ों में एक ये भी है कि 44 हजार के करीब गांव
विरान हो चुके हैं। देश के लिए गांवों का विरान हो जाना न कोई खबर है और न
ही नीति निर्माताओं के लिए शोध का विषय।
इस देश की आबादी का तकरीबन 16 फीसदी
हिस्सा आदिवासियों का है। इनमें से लगभग 11 फीसदी के करीब आदिवासी गांवों
में ही रहते हैं। देश के विकास की अधिकतर योजनाओं में इस 16 फीसदी आबादी का
हिस्सा कम ही होता है। कम से कम कैशलेस होते भारतीय समाज की अवधारणा में
तो इन आदिवासियों को फिट करने में बड़ी मुश्किल हो रही है।
हालांकि पीने के साफ पानी, अपने निवास के
करीब ही स्वास्थय सेवाओं की उपलब्धता, शिक्षा और रोजगार जैसे मसलों का
जिक्र देश की इस 16 फीसदी आबादी के लिए न ही किया जाए तो बेहतर है। वैसे
आदिवासियों के लिए एक हेलिकॉप्टर भी अजूबा है और तीन एक साथ आ जाएं तो
दुनिया के अजूबों में उनके लिए एक और अजूबा जोड़ देना पड़ेगा।
बात गरीबी की थी लिहाजा लगे हाथ ये भी बता
दें कि देश में गरीबी के पैमाने सरकारों के हिसाब से बदलते रहते हैं। फिर
भी 2012 के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश का 22 फीसदी के करीब गरीब लोगों
का है। ये सरकारी आंकड़ों हैं और इन आंकड़ों को बताने के लिए ही बनाया जाता
है। आप चाहें तो गैरसरकारी रूप से इन आंकड़ों में पांच दस फीसदी खुद ही
बढ़ा सकते हैं। 2016 की वर्ल्ड ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक देश ऐसी
असमानता से भरा है जिसमें देश की एक फीसदी जनता के पास ही 60 फीसदी धन रखा
है। मोटी बुद्धि के मुताबिक बची 99 फीसदी आबादी में देश का चालीस फीसदी धन
बंट गया। अब ये समझना मुश्किल है कि 99 फीसदी आबादी गरीब है या 22 फीसदी।
अब आपको उत्तर प्रदेश के एक जिले सीतापुर
के बिसवां की तस्वीर दिखाता हूं। यहां एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा
हुई। सरकार की ओर से दी गई फ्री एंबुलेंस का इंतजाम नहीं हो पाया तो पति ने
हाथ के ठेले पर ही लाद कर पास के स्वास्थ केंद्र पहुंचाया। सरकारी डाक्टर
नहीं थी लिहाजा नर्स ने डिलिवरी कराई और दो घंटे में नवजात को कंबल में
लपेट कर पिता को पकड़ा दिया और प्रसूता को ठेले पर ही वापस भेज दिया। ये
जानकारी मुझे भी वरिष्ठ पत्रकार सुधीर मिश्रा की फेसबुक वॉल से मिली।
खैर हमारे लिए ये सुखद खबर है कि हमारे
प्रधानमंत्री स्वस्थ हैं और उनके साथ हमेशा विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम रहती
है। आपको एंबुलेंस नहीं मिली इसके लिए रोइए मत।
खुश रहिए कि देश के प्रधानमंत्री के लिए दुनिया के उन्नत हेलिकॉप्टरों में शुमार तीन हेलिकॉप्टरों का काफिला हर पल तैयार है।
और क्या चाहिए आपको।
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