एक सुबह जीमेल और ऑरकुट पर लोगिन करते ही फ्रेंड लिस्ट में जुड़े उदय गुप्ता जी ने मुझसे मेरा फ़ोन नंबर पूछा, मैंने दे दिया. इसके थोड़ी देर बाद मुझे लखनऊ से एक फ़ोन आया. इस फ़ोन पर मुझसे कहा गया कि आपके पास थोड़ी देर में देहरादून से फ़ोन आएगा. इतनी देर में मेरे मन में कौतूहल आ चुका था. दो लगभग अनजान फ़ोन और तीसरे का इंतज़ार. हालाँकि ये इंतज़ार लम्बा नहीं चल सका और जल्द ही एक फ़ोन और आया. फ़ोन पर शशि भूषण मैथानी जी थे देहरादून से. कुछ देर कि बातचीत के बाद मुझे पता चल गया कि शशि कि मुझसे उम्र में बड़े और अनुभव में सम्पन्न हैं. शशि जी के हाथ मेरा एक लेख लगा था. शशि जी उसे अपनी पत्रिका' यूथ आईकॉन' में प्रकाशित करना चाहते थे. इसीलिए उन्होंने कई माध्यमों से होते हुए मेरा फ़ोन नंबर प्राप्त किया था. शशि जी युवाओं को ध्यान में रखकर एक पत्रिका का प्रकाशन करते हैं लिहाजा सोच भी युवा थी. मन में कुछ करने की ख्वाहिश और अन्याय के प्रति बागी तेवर. शशि जी के साथ मेरी बातचीत बहुत लम्बी नहीं थी लेकिन इस अल्प अवधि की बातचीत के दौरान मुझे इस बात का एहसास हुआ कि मैं आज भी युवा हूँ. किसी मुद्दे प...
न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर