क्या सपने देखने के लिए भी कोई वक़्त तय किया जा सकता है....सोचता हूँ लोग क्यों कहते हैं कि ये दिन में सपने देखता है? क्या सपने महज रातों में देखे जाने चाहिए? क्या सपने देखने के लिए जगह भी ठीक ठाक होनी चाहिए? कहीं भी कभी भी सपने देखने में क्या बुराई है? पता नहीं लेकिन जब से सपने देखने शुरू किया है तभी से यह सुनता रहा हूँ कि सपने देखने का एक वक़्त होता है...हर समय सपने नहीं देखे जाते...मुझे लगता है कि ये बातें तब कहीं गयी होंगी जब लोग किसी ख़ास समय पर सपने देखते होंगे और एक मुख़्तसर वक़्त उन्हें हकीकत में बदलने के लिए मुक़र्रर करते होंगे....लेकिन पवन से भी तेज इस मस्तिष्क में एक सवाल यहाँ और आता है कि क्या उनके सपने इतने छोटे हुआ करते थे कि किसी ख़ास वक़्त में देखे जाएँ और किसी ख़ास समय में उन्हें पूरा कर लिया जाये....और अगर पूरे नहीं हो पाए तो क्या? सपने ही नहीं देखते थे....? एक और सवाल मन में आ जाता है कि वो सपने कब देखते होंगे? जहाँ तक मुझे पता चला है वो वक़्त रात का था....लीजिये अब एक सवाल और आ गया मन में कि लोग रात को ही सपने क्यों देखते थे? क्या दिन में किसी का डर था...
न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर