गुरु ई मीडिया वाले त पगला गैयल हववन....धोनिया के बिआयेह का समाचार कल रतिए से पेलले हववन और सबेरे तक वही दिखावत हववन...जब तक एकरे एक दू ठे बच्चा ना पैदा हो जैईहें लगत हव तब तक दिखवाते रहियें....इनकी माँ कि ........... यह वो सहज प्रतिक्रिया थी जो मुझे अपने शहर बनारस में एक चाय की दुकान पर चुस्कियों के बीच सुनायी दी थी..यकीन जानिए मैंने बिल्कुल भी इस बात का खुलासा वहां नहीं किया था कि मैं भी इसी खेत में पिछले पांच सालों से 'उखाड़' रहा हूँ.....अगर मेरे मुहं से ये तथ्य गलती से भी निकल कर बाहर आ गया होता तो आप समझ सकते हैं कि मेरी बारे में वहां क्या क्या कहा जाता? वैसे एक बात जगजाहिर है कि बनारसी पैदा होते ही बुद्धजीवियों की कोटि में आ खड़े होते हैं....नुक्कड़ की चाय और पान की दुकाने इन बुद्धजीवियों के पाए जाने का केंद्र होती हैं और अगर आप उस दुकान के इर्द गिर्द बहने वाली हवा के विपरीत जाते हैं तो आप से बड़ा बेवकूफ कोई नहीं होगा....हाँ अगर आपको अपनी बात कहने का बहुत शौक है तो बनारसी अंदाज़ में कहिये, शायद कोई सुन भी ले..वरना पढ़े लिखे लोगों की तरह तथ्यात्मक ज्ञान देने लेगे तो आप लौ...
न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर