न जाने वो क्या था. एक रेशमी एहसास था, एक ज़िम्मेदारी थी, एक ख़्वाब था, किसी कहानी कि शुरुआत थी, किसी दास्तान का आखिरी हिस्सा था, किसी बगीचे में खिले पहले गुलाब की महक थी, किसी पहाड़ से लिपटी कोई पवन थी, चांदनी रात में रात रानी का खिलना था, किसी लम्बी और सुनसान सड़क में किसी सड़क का आकर मिलना था, किसी रेगिस्तान में कोई घना पेड़ था, ठण्ड की सुबह में निकली सूरज की पहली किरण थी, दूर तक देख कर लौटी एक नज़र थी, ज़िन्दगी को हर हाल में जी लेने का हौसला था, हाथ कि हर लकीर से अपनी खुशी की इबारत लिखवा लेने का ज़ज्बा था, किसी अँधेरी रात को सुबह होने की उम्मीद थी, सागर में उड़ते किसी परिंदे को मिला कोई ठौर था, पुरानी डायरी के पन्नों पर यूं ही बनी तस्वीरों का कोई साकार रूप था, बादलों के बीच बना कोई मुकाम था, किसी से मन की बात कह पाने का साहस था, किसी के कंधो पर सिर रख बतियाने का अधिकार था, मन्दिर में भगवान के सामने हाथ जोड़े खड़े हुए तो मन में आई कोई तस्वीर थी, दूर तक बिखरी धूप में साथ चलता साया था, किसी नदी के किनारे पानी में पैर डाले मिला सुकून था, दिन भर ज़िन्दगी की ज़द्दोजहद के बाद शाम को घर लौ...